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प्रदोष व्रत पर महादेव की आरती: भक्तों के लिए विशेष पूजा

प्रदोष व्रत के अवसर पर महादेव की आरती का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त महादेव और मां पार्वती की पूजा करते हैं, साथ ही अन्न और धन का दान भी करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। आरती का पाठ करना अनिवार्य है, क्योंकि इसके बिना पूजा का फल नहीं मिलता। जानें महादेव की आरती और इसके लाभ के बारे में।
 

महादेव की आरती

महादेव की आरती

प्रदोष व्रत की आरती: पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत आज, 3 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन भक्त महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा करते हैं। इसके साथ ही, व्रत का पालन करते हुए अन्न और धन का दान भी किया जाता है। मान्यता है कि सोम प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, और शिवजी की कृपा परिवार पर बनी रहती है। प्रदोष व्रत के दौरान महादेव की आरती करना अनिवार्य है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार, आरती न करने पर पूजा का फल नहीं मिलता। आइए, शिवजी की आरती का पाठ करते हैं।

महादेव की आरती (Mahadev ki Aarti)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्य ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥