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प्रदोष व्रत की आरती: विशेष पूजा विधि और मंत्र

प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन विशेष आरती और मंत्रों का जाप करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। 17 नवंबर को पड़ने वाले इस व्रत का महत्व सोमवार के कारण और भी बढ़ जाता है। जानें कैसे करें शिव जी की आरती और कौन से मंत्रों का जाप करें, ताकि व्रत के समान फल प्राप्त हो सके।
 

प्रदोष व्रत की आरती

प्रदोष की आरती

प्रदोष व्रत की आरती हिंदी में: हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस बार यह शुभ तिथि सोमवार, 17 नवंबर को है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। यदि आप इस दिन व्रत नहीं रख पाते हैं, तो सुबह और शाम को शिव जी की विधिपूर्वक पूजा करें और प्रदोष काल में आरती अवश्य करें। प्रदोष काल में शिवजी की आरती करने से व्रत के समान फल प्राप्त होता है।

  • 17 नवंबर प्रदोष काल – शाम 5:27 से रात 8:07 तक।

ओम जय शिव ओंकारा की आरती (Jai Shiv omkara Aarti)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्य ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

माता पार्वती की आरती (Mata Parvati Ki Aarti)

जय पार्वती माता जय पार्वती माता

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता

सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

देवन अरज करत हम चित को लाता

गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

प्रदोष व्रत मंत्र (Pradosh vrat mantra)

प्रदोष व्रत पर आप नीचे दिए गए कुछ विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं –

  • महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।”
  • शिव गायत्री मंत्र: “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।”
  • “श्री शिवाय नमः।”
  • “श्री शंकराय नमः।”
  • “श्री महेश्वराय नमः।”
  • “श्री सांबसदाशिवाय नमः।”