पौष पुत्रदा एकादशी 2025: पूजा और स्नान का सही समय जानें
पौष पुत्रदा एकादशी 2025 का व्रत 30 और 31 दिसंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस व्रत का सही समय, पूजा विधि और स्नान का शुभ मुहूर्त। यह व्रत संतान की कामना करने वालों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। जानें कैसे करें इस दिन की तैयारी और पूजा विधि।
Dec 26, 2025, 11:55 IST
पौष पुत्रदा एकादशी 2025
पौष पुत्रदा एकादशी 2025Image Credit source: Freepik
पौष पुत्रदा एकादशी 2025: सनातन धर्म में भगवान श्री हरि विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है। यह मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा से जीवन के सभी दुख समाप्त होते हैं और मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, इसलिए इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। साल में कुल 24 एकादशी होती हैं।
पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत संतान की इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस व्रत के माध्यम से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इस बार पौष पुत्रदा एकादशी की तारीख को लेकर कुछ संदेह है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत कब होगा और स्नान एवं पूजा का सही समय क्या है।
पौष पुत्रदा एकादशी कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर को सुबह 7:50 बजे शुरू होगी और 31 दिसंबर को सुबह 5:00 बजे समाप्त होगी। इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 और 31 दिसंबर को रखा जाएगा। गृहस्थ लोग 30 दिसंबर को व्रत करेंगे, जबकि वैष्णव परंपरा के अनुयायी 31 दिसंबर को इसका पालन करेंगे।
पौष पुत्रदा एकादशी स्नान और पूजा का शुभ मुहूर्त
30 दिसंबर को पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा का शुभ ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:24 बजे से शुरू होगा और 6:19 बजे तक रहेगा। इस समय स्नान के बाद पूजा करना सबसे अच्छा रहेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से शुरू होगा और 12:44 बजे तक रहेगा।
पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि
- पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- एकादशी व्रत का विधि-विधान से संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
- पीले वस्त्र, पीले फूल, तुलसी दल, अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को पीली मिठाई और फल का भोग अर्पित करें।
- भोग में तुलसी दल अवश्य शामिल करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
- पौष पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ करें।
- अंत में आरती कर पूजा समाप्त करें।