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पूर्वजों की तस्वीरें रखने का सही तरीका और दिशा

इस लेख में हम जानेंगे कि पूर्वजों की तस्वीरें घर में किस दिशा में रखनी चाहिए और उनकी पूजा का सही तरीका क्या है। महंत स्वामी कामेश्वरानंद के अनुसार, तस्वीरों को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए और विशेष अवसरों पर उनकी पूजा कैसे करनी चाहिए। सही विधि अपनाने से परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
 

पूर्वजों की तस्वीरें रखने का महत्व


अक्सर देखा जाता है कि लोग भावनाओं में बहकर अपने पूर्वजों की तस्वीरें कहीं भी लटका देते हैं। कभी लिविंग रूम में, कभी मंदिर के पास, या फिर रसोई में। लेकिन कहा जाता है कि जहां नियमों का उल्लंघन होता है, वहां अनहोनी होती है। इसी तरह, शास्त्रों के अनुसार, पूर्वजों की तस्वीर गलत स्थान पर रखने से जीवन में जटिलताएं और समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि घर में पूर्वजों की तस्वीर किस दिशा और स्थान पर रखनी चाहिए।


पूर्वजों की तस्वीर रखने का सही स्थान

महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य के अनुसार, पूर्वजों की तस्वीर हमेशा दक्षिण दिशा की दीवार पर लगानी चाहिए। दक्षिण दिशा को यम की दिशा कहा जाता है, इसलिए पूर्वजों का स्थान वहीं माना जाता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पूर्वजों की तस्वीर लिविंग रूम, मंदिर, बेडरूम या रसोई में नहीं रखनी चाहिए।


तस्वीर के सामने धूपबत्ती दिखाना

इसके लिए घर में एक अलग और शांत कमरा होना चाहिए, जहां केवल परिवार के सदस्य आते-जाते हैं। वही कमरा साफ होना चाहिए, और पूर्वजों की तस्वीर दक्षिण दीवार पर रखी जानी चाहिए। स्वामी जी का कहना है कि तस्वीरें स्टोर रूम में भी नहीं रखनी चाहिए। तस्वीर के सामने रोज धूपबत्ती जलाएं, तिल और जौ का भोग अर्पित करें, और हर महीने की अमावस्या को जल का दान करें।


पूजा का विधि

श्राद्ध पक्ष के दिनों में, अर्थात् कनागत में, पूर्वजों की तस्वीर को दीवार से उतारकर कपड़े से ढकी कुर्सी या मेज पर रखना चाहिए। उस दिन तस्वीर पर तिलक किया जाता है और माला पहनाई जाती है, और पिता, दादा, परदादा के साथ-साथ माता, दादी, परदादी के गोत्र लेकर तर्पण किया जाता है। स्वामी जी ने बताया कि श्राद्ध के समय केवल अपने पूर्वजों को ही नहीं, बल्कि उन लोगों के नाम भी तिलांजलि दी जा सकती है जिनका कोई नहीं है। इसके अलावा, माता गाय को चारा खिलाना भी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अच्छा माना जाता है।


सच्चे मन से तर्पण करें

पुराणों में उल्लेख है कि गरुड़ जी महाराज ने भी अपने भाई सम्पाती का श्राद्ध इसी तरह किया था। इसलिए शास्त्रों में स्पष्ट लिखा है कि पूर्वजों की तस्वीरें केवल तीन पीढ़ियों के लिए रखी जानी चाहिए और वह भी उसी कमरे में। कहा जाता है कि जहां विश्वास होता है, वहां शांति होती है... और यही कारण है कि पूर्वजों के लिए सच्चे मन से किया गया तर्पण परिवार में सुख और समृद्धि लाता है।


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