×

पूर्णिमा और अमावस्या के बीच का अंतर: जानें 5 महत्वपूर्ण बातें

इस लेख में हम पूर्णिमा और अमावस्या के बीच के महत्वपूर्ण अंतर को समझेंगे। जानें कि कैसे ये तिथियाँ हिंदू धर्म में अलग-अलग महत्व रखती हैं और इनके पीछे की धार्मिक मान्यताएँ क्या हैं। क्या आप जानते हैं कि पूर्णिमा पर चंद्रमा कैसे दिखाई देता है और अमावस्या पर क्यों नहीं? इस लेख में आपको इन सवालों के जवाब मिलेंगे।
 

पूर्णिमा और अमावस्या

पूर्णिमा और अमावस्या

पूर्णिमा और अमावस्या में अंतर: हिंदू धर्म के ग्रंथों में पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों का विशेष महत्व है। हर वर्ष 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा होती हैं। अमावस्या को लेकर लोगों में अक्सर एक डर बना रहता है, जिसे काली रात भी कहा जाता है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है, जबकि शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा कहलाती है। इस लेख में हम पूर्णिमा और अमावस्या के बीच के अंतर और उनके महत्व के बारे में चर्चा करेंगे।

पूर्णिमा और अमावस्या में मुख्य अंतर

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूरी तरह से रोशन और गोल दिखाई देता है, जबकि अमावस्या के दिन चंद्रमा अदृश्य होता है। पूर्णिमा के समय चंद्रमा पृथ्वी के विपरीत दिशा में होता है, जबकि अमावस्या के दिन यह पृथ्वी और सूर्य के बीच होता है, जिससे इसका प्रकाश पृथ्वी पर नहीं दिखता।

पूर्णिमा को शुभ माना जाता है और इसे दान, स्नान और पूजा-पाठ के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। दूसरी ओर, अमावस्या को अशुभ माना जाता है, लेकिन कुछ धार्मिक परंपराओं में इसका विशेष महत्व है, जैसे पितृ तर्पण या साधना के लिए। पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी का आगमन होता है, जबकि अमावस्या पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक होता है।

(इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।)