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पूजा में पुनः उपयोग की जाने वाली वस्तुएं और उनके नियम

पूजा-पाठ में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के पुनः उपयोग के नियमों को जानना महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि किन वस्तुओं का पुनः उपयोग किया जा सकता है और किन्हें नहीं। जानें धार्मिक मान्यताएं और महत्वपूर्ण जानकारी जो आपकी पूजा को और भी प्रभावी बनाएगी।
 

पूजा के नियम

पूजा-पाठ के नियमImage Credit source: Freepik

Puja Ke Niyam: हर परिवार में नियमित रूप से पूजा-पाठ किया जाता है। यह भगवान से जुड़ने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। पूजा में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं पवित्र होती हैं। कुछ वस्तुएं भगवान को अर्पित करने के बाद भी शुद्ध बनी रहती हैं, जबकि कुछ का पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं कि पूजा में किन चीजों का पुनः उपयोग किया जा सकता है और किन्हें नहीं।

पूजा में पुनः उपयोग की जाने वाली वस्तुएं

चांदी, पीतल और अन्य सामग्री

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा में चांदी, पीतल या तांबे के बर्तन का पुनः उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, भगवान की मूर्तियां, घंटियां, शंख, मंत्र जप की माला और आसन को भी बार-बार पूजा में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन वस्तुओं को पूजा के बाद अच्छी तरह से साफ करके सुरक्षित रखना चाहिए।

तुलसी

तुलसी को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। इसे माता मानकर पूजा की जाती है। तुलसी की पत्तियों का उपयोग पूजा में किया जाता है और मान्यता है कि यह कभी भी अपवित्र नहीं होती। इसलिए, यदि नई तुलसी उपलब्ध नहीं है, तो पहले चढ़ाई गई तुलसी को पुनः भगवान को अर्पित किया जा सकता है।

बेलपत्र

भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है। शिवपुराण के अनुसार, बेलपत्र 6 महीने तक बासी नहीं होते। शिवलिंग पर अर्पित करने के बाद भी बेलपत्र का पुनः उपयोग किया जा सकता है, बशर्ते कि वह खंडित या दागदार न हो।

इन चीजों का पुनः उपयोग न करें

वहीं, भगवान को अर्पित किए गए भोग, जल, फूल, माला, चंदन, कुमकुम, धूप, दीप, नारियल और अक्षत का पुनः उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। मान्यता है कि इनका एक बार उपयोग होने के बाद ये शुद्ध नहीं रह जाती हैं। इनका पुनः उपयोग करने से पूजा का फल नहीं मिलता।

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