नवरात्रि में माता को अर्पित करें ये तीन फल, पाएं आशीर्वाद
नवरात्रि में फल अर्पित करने का महत्व
नवरात्रि में माता को इन तीन फलों का जरूर लगाएं भोग
नवरात्रि के दौरान फल अर्पित करने का महत्व: शारदीय नवरात्रि में भक्त देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं और हर दिन उन्हें विशेष भोग अर्पित करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, माता को फल अर्पित करने से साधक के पाप समाप्त होते हैं, इच्छाएं पूरी होती हैं और परिवार पर देवी का आशीर्वाद बना रहता है। विशेष रूप से, तीन फलों का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
नवरात्रि का पर्व देवी भक्ति और साधना का प्रमुख अवसर है। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है। देवी को प्रसन्न करने के लिए भोग का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा को फल, पुष्प और प्रसाद चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। आइए जानते हैं वे तीन फल कौन से हैं और उनका महत्व क्या है।
अनार- समृद्धि और संतान सुख का प्रतीक
अनार को माता रानी का प्रिय फल माना जाता है। यह फल संतान सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है। नवरात्रि में माता को अनार अर्पित करने से परिवार में खुशहाली आती है और संतान की उन्नति होती है। कहा जाता है कि अनार चढ़ाने से साधक को रोगों से मुक्ति और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
नारियल- शुद्धता और शक्ति का प्रतीक
नारियल को शास्त्रों में शुभ फल माना गया है। इसे माता को अर्पित करने से साधक के पाप कर्म समाप्त होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नवरात्रि में नारियल का भोग लगाने से मां दुर्गा साधक को शक्ति और आत्मबल का वरदान देती हैं। यही कारण है कि हर धार्मिक अनुष्ठान में नारियल का विशेष स्थान होता है।
केला- सौभाग्य और स्थिरता का प्रतीक
केला स्थिरता और सौभाग्य का फल माना जाता है। नवरात्रि में माता को केला अर्पित करने से परिवार में स्थिरता आती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। यह फल माता लक्ष्मी को भी प्रिय है, इसलिए इसे चढ़ाने से देवी दुर्गा के साथ-साथ लक्ष्मी जी की कृपा भी प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
यदि श्रद्धापूर्वक अनार, नारियल और केले का भोग माता को अर्पित किया जाए, तो साधक को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ये फल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जीवन में समृद्धि, शक्ति और सौभाग्य का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।