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नवरात्रि के बाद अखंड ज्योति का सही प्रबंधन कैसे करें?

नवरात्रि के दौरान जलने वाली अखंड ज्योति का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय है। इस लेख में जानें कि नवरात्रि के बाद इस ज्योति का क्या करना चाहिए। क्या इसे बुझाना चाहिए या इसे अपने आप बुझने देना चाहिए? इसके साथ ही, जानें इसके महत्व और सही तरीके से प्रबंधन के उपाय।
 

अखंड ज्योति: नवरात्रि के बाद क्या करें?

अखंड ज्योति

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। नवमी के दिन इस पर्व का समापन होता है, जब भक्त पूजा के साथ-साथ दान और कन्या पूजन का आयोजन करते हैं। इस अवसर पर कई भक्तों के मन में यह प्रश्न उठता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन पूजा के बाद अखंड ज्योति का क्या करना चाहिए। यदि आपके मन में भी यही सवाल है, तो इस लेख में आपको इसका उत्तर मिलेगा।

नवरात्रि में अखंड ज्योति का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दीपक 9 दिनों तक जलता है, जो पवित्रता और आस्था का प्रतीक है। इसके जलने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। हालांकि, नवरात्रि के समाप्त होने के बाद इसे फेंकना या बुझाना उचित नहीं है।

अखंड ज्योति का प्रबंधन

स्वयं बुझने दें: अखंड ज्योति को कभी भी फूंककर या किसी अन्य तरीके से बुझाने का प्रयास न करें, बल्कि इसे अपने आप बुझने दें।

माफी मांगें: यदि ज्योति अनजाने में बुझ जाती है, तो मां दुर्गा से क्षमा मांगें और ‘शुभम करोति कल्याणं…’ मंत्र का जाप करें।

बत्ती निकालें: ज्योति बुझने के बाद उसकी बत्ती को सावधानी से निकाल लें।

तेल का उपयोग: बची हुई बत्ती को किसी पवित्र स्थान पर रखें या किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें।

अगली पूजा में प्रयोग: अखंड ज्योति का बचा हुआ तेल अगली पूजा या हवन में उपयोग करें, क्योंकि इसे पवित्र माना जाता है।

गलतियों से बचें: अखंड दीपक के पास कभी भी जूते या अशुद्ध वस्तुएं न रखें और उस स्थान को साफ रखें। एक ज्योति से दूसरी ज्योति को जलाने से बचें।