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नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन सफेद वस्त्र और शक्कर का भोग अर्पित करते हैं। आचार्य अनुपम महाराज के अनुसार, इस पूजा से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। जानें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और उनके प्रिय भोग के बारे में।
 

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा


नवरात्रि का पर्व देवी माँ की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान भक्त विभिन्न रूपों में माँ की पूजा करते हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार, माँ ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया और इसी रूप में प्रकट हुईं। माता ब्रह्मचारिणी को सफेद वस्त्र और शक्कर का भोग अति प्रिय है। इस रूप की विशेष पूजा और भोग अर्पित करने से इच्छित फल और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।


विंध्याधाम के आचार्य, पंडित अनुपम महाराज ने बताया कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। माँ ने भगवान शिव को पाने के लिए ब्रह्मचारिणी व्रत रखा और कठोर तप किया। तभी से इस रूप को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। इस रूप में माँ के दो हाथ होते हैं, वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और एक हाथ में कमंडल तथा दूसरे में जप माला रखती हैं, जो एक तपस्विनी का प्रतीक है। माता ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया और अंततः उन्हें प्राप्त किया।


अगले दिन पूजा कैसे करें:

आचार्य अनुपम महाराज ने बताया कि माता ब्रह्मचारिणी को सफेद वस्त्र और शक्कर का भोग अर्पित करना पसंद है। इस दिन शक्कर का भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद चढ़ाएं। जो व्यक्ति प्रसाद प्राप्त करेगा, उसे मानसिक शांति, मन और भावनाओं में परिवर्तन, खुशी और समृद्धि का अनुभव होगा, साथ ही मानसिक एकाग्रता में वृद्धि होगी। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिपूर्वक करें। विशेष भोग अर्पित करें और उन्हें लाल दुपट्टा चढ़ाएं। माता ब्रह्मचारिणी लाल दुपट्टे को बहुत पसंद करती हैं। ऐसा करने से माता प्रसन्न होंगी और इच्छित फल प्रदान करेंगी।


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