धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व और इतिहास
भगवान धन्वंतरि की पूजा
भगवान धन्वंतरि की पूजा
भगवान धन्वंतरि की पूजा: धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं भगवान धन्वंतरि कौन हैं और धनतेरस पर उनकी पूजा का महत्व क्या है।
भगवान धन्वंतरि का परिचय
भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। वह समुद्र मंथन के समय अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, और उन्हें आयुर्वेद का जनक तथा देवताओं के चिकित्सक के रूप में जाना जाता है। धन्वंतरि को चार भुजाओं के साथ अमृत कलश, शंख, चक्र और औषधियों के साथ देखा जाता है।
धन्वंतरि की पूजा का उद्देश्य
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का मुख्य कारण यह है कि इसी दिन वह समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुए थे। इस दिन उनकी पूजा का उद्देश्य अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोगों से मुक्ति प्राप्त करना है। यह पूजा देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के साथ की जाती है, जो समृद्धि और धन की कामना को पूरा करती है।
भगवान धन्वंतरि का जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ क्षीर सागर से प्रकट हुए थे। इसलिए, इस दिन उनकी पूजा करना और सोने-चांदी की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस को भगवान धन्वंतरि के जन्म उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद
धनतेरस को 'धन्वंतरि जयंती' और 'आयुर्वेद दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना जाता है। भगवान धन्वंतरि की पूजा से लोग शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा भी की जाती है।