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द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र: शिव की कृपा पाने का सरल उपाय

सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव के भक्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रा करते हैं। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन न कर पाने वाले भक्त प्रतिदिन द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। यह स्तोत्र शिव की महिमा का वर्णन करता है और इसके पाठ से भक्तों को अनेक लाभ मिलते हैं। जानें इस स्तोत्र के अर्थ, लाभ और इसे नियमित रूप से पढ़ने के महत्व के बारे में।
 

सावन का पवित्र महीना और ज्योतिर्लिंगों की महिमा


सावन का पवित्र महीना समाप्त होने को है, और इस दौरान भगवान शिव के भक्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रा करते हैं। हालांकि, सभी भक्त 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं कर पाते। ऐसे में, प्रतिदिन द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को उन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का फल प्राप्त होता है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है, जो भगवान शिव और उनके ज्योतिर्लिंगों की महिमा का वर्णन करता है। आइए, इसके अर्थ और जप के लाभों के बारे में जानते हैं।


12 ज्योतिर्लिंगों के स्थान और उनके महत्व


  1. सोमनाथ (सौराष्ट्र)
    चंद्रमा के आभूषण वाले सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की भक्ति हेतु मैं शरणागत होता हूँ।

  2. मल्लिकार्जुन (श्रीशैलेश्वर)
    देवताओं के संग्राम स्थल मल्लिकार्जुन को मैं प्रणाम करता हूँ।

  3. महाकाल (अवंतिका)
    मोक्ष देने वाले महाकाल की शरण में मैं निवेदित हूँ।

  4. ओंकारेश्वर (कावेरी-नर्मदा संगम)
    सत्पुरुषों को संसार सागर से पार लगाने वाले ओंकारेश्वर को मैं नमन करता हूँ।

  5. वैद्यनाथ (पूर्वोत्तरा)
    मां पार्वती के संग वैद्यनाथ को प्रणाम।

  6. नागनाथ (याम्ये)
    दक्षिण दिशा के नगर में भोग-विलासों से परिपूर्ण नागनाथ को मैं शरणागत हूँ।

  7. केदारनाथ (महाद्रिपार्श्वे)
    हिमालय के पास मुनियों के पूजित केदारनाथ को मेरा अभिवादन।

  8. त्रयंबकेश्वर (सह्याद्रि)
    पापों को नष्ट करने वाले त्रयंबकेश्वर की भक्ति करता हूँ।

  9. रामेश्वर (ताम्रपर्णी संगम)
    श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वर का गुणगान करता हूँ।

  10. भीमशंकर (डाकिनी-शाकिनी संग)
    प्रेतप्रिय भीमशंकर को प्रणाम।

  11. विश्वनाथ (वाराणसी)
    आनंद वनों में पापों को नष्ट करने वाले विश्वनाथ को मैं चरणस्पर्श करता हूँ।

  12. घृष्णेश्वर (इलापुर)
    उदार स्वभाव वाले घृष्णेश्वर की शरण में मैं जाता हूँ।


स्तोत्र के लाभ


  • इस स्तोत्र का पाठ करने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और शिवजी की कृपा बनी रहती है।

  • नियमित जप से पापों का संहार होता है और सभी कष्ट दूर होते हैं।

  • जीवन में सुख-समृद्धि और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

  • मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

  • सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के समान फल प्राप्त होता है, जो हर भक्त की मनोकामनाएँ पूरी करता है।


निष्कर्ष

यदि कोई भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से प्रतिदिन इस द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का जप करता है, तो उसे शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र न केवल जीवन की समस्त परेशानियों का समाधान करता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति और मोक्ष के पथ पर भी अग्रसर करता है।


द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का नियमित पाठ आपके जीवन को शिवजी की अनंत कृपा से परिपूर्ण कर सकता है, इसलिए इसे अपने दैनिक पूजा-अर्चना में शामिल करना अत्यंत फलदायक है।