दोष रहित पंचक 2025: जानें इसके महत्व और नियम
दोष रहित पंचक 2025:
हिंदू धर्म में भद्रा काल की तरह, पंचक को भी अशुभ माना जाता है। हर महीने, पंचक पांच दिनों के लिए रहता है, जिसमें कई शुभ और अशुभ कार्यों से बचना चाहिए। पंचक का शुभ या अशुभ होना इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस दिन से शुरू हो रहा है। धार्मिक दृष्टि से, पंचक विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। नवंबर में 27 तारीख से पंचक की शुरुआत होने वाली है। आइए जानते हैं कि दोषरहित पंचक क्या है और इसमें किन कार्यों से बचना चाहिए।
पंचक की परिभाषा
पंचक, पांच नक्षत्रों – धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती, के संयोग से निर्मित एक विशेष समय होता है। यह तब शुरू होता है जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम चरण से रेवती नक्षत्र के अंत तक गोचर करता है, जो कुंभ और मीन राशि में होता है। पंचक हर महीने लगभग पांच दिनों तक चलता है।
पंचक के विभिन्न प्रकार
- सोमवार: राज पंचक (शुभ)
- मंगलवार: अग्नि पंचक (अशुभ)
- बुधवार: दोषरहित पंचक (शुभ)
- गुरुवार: दोषरहित पंचक (शुभ)
- शुक्रवार: चोर पंचक (अशुभ)
- शनिवार: मृत्यु पंचक (सबसे अशुभ)
- रविवार: रोग पंचक (अशुभ)
दोषरहित पंचक की विशेषताएँ
दोषरहित पंचक वे होते हैं, जो बुधवार या गुरुवार से आरंभ होते हैं। यह पंचक शुभ फल देने वाला माना जाता है, क्योंकि यह भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा से प्रभावित होता है। दोषरहित पंचक के दिनों में सामान्य निषेधों का पालन करने की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी, कुछ विशेष कार्य जैसे दक्षिण दिशा की यात्रा या मकान की छत डलवाने से बचना चाहिए।
दोष रहित पंचक के नियम
दोषरहित पंचक के दौरान शुभ कार्य किए जा सकते हैं, क्योंकि इन पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं होता है। इस पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा, घर की छत ढलवाना, या लकड़ी का सामान बनवाना वर्जित होते हैं। यदि इस दौरान कोई आवश्यक कार्य करना हो, तो उपाय के लिए किसी पंडित से सलाह लेना उचित है।