दुर्गाष्टमी: विशेष पूजा विधि और शुभ योग
दुर्गाष्टमी का महत्व
दुर्गाष्टमी: वेदिक कैलेंडर के अनुसार, 30 सितंबर 2025, मंगलवार को शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। इस दिन भक्तगण देवी गौरी की विशेष भक्ति के साथ पूजा करेंगे और उनके नाम पर उपवास रखेंगे। अष्टमी तिथि पर संधि पूजा का विशेष महत्व है, जो मन और आत्मा को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
महाअष्टमी के शुभ योग
ज्योतिषियों के अनुसार, इस वर्ष महाअष्टमी पर कई शुभ और सुंदर योग बन रहे हैं। इस समय की गई पूजा और प्रार्थनाएं इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में विशेष लाभ का संकेत देती हैं। आइए इस अवसर के लिए शुभ समय और योगों का पता लगाते हैं ताकि पूजा के पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकें।
अश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 29 सितंबर को शाम 4:32 बजे शुरू होगी और 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे समाप्त होगी।
पूजा विधि
इस शुभ अवसर को मनाने के लिए महाअष्टमी का उपवास 30 सितंबर को रखा जाएगा। संधि पूजा का शुभ समय शाम 5:42 बजे से 6:30 बजे तक है, जो पूजा और भक्ति के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
महाअष्टमी के शुभ योग
ज्योतिषियों के अनुसार, इस अष्टमी तिथि पर कई शुभ योग बन रहे हैं। शुभान योग रात 1:03 बजे तक रहेगा, जो पूजा और भक्ति के लिए विशेष फलदायी है। इसके अलावा, शिववास योग शाम 6:06 बजे से बनेगा। इन शुभ योगों में देवी जगदंबा की पूजा करने से सुख, समृद्धि और भाग्य में वृद्धि होती है। यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा और इच्छाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
महागौरी की पूजा करने की विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करें।
घर के मंदिर में दीप जलाएं और पूजा की तैयारी करें।
पहले देवी दुर्गा का अभिषेक गंगा जल से करें।
इसके बाद देवी को चावल, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें।
फलों और मिठाइयों को प्रसाद के रूप में अर्पित करें।
अगरबत्ती और दीप जलाएं, दुर्गा चालीसा का पाठ करें, और फिर देवी की आरती करें।
पूजा के दौरान अर्पित की जाने वाली वस्तुओं में विशेष ध्यान रखें। केवल शुद्ध और पवित्र वस्तुएं अर्पित करें।
देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी को नारियल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
अर्पण के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।
माँ महागौरी का प्रिय फूल रात की रानी है।
इसीलिए उन्हें राहु दोष से मुक्ति दिलाने के लिए विशेष रूप से पूजा जाता है।
पूजा के दौरान या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेन संस्थित। मंत्र का जाप करें: नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
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