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दिल्ली में चीनी मांझे का खतरा: पक्षियों की सुरक्षा पर संकट

दिल्ली में पतंगबाजी के दौरान प्रतिबंधित चीनी मांझे का अवैध व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पक्षियों की जान को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। हाल ही में 250 से अधिक पक्षी इस मांझे के कारण घायल हुए हैं। पक्षी संरक्षण संगठन ने इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। जानें इस खतरनाक मांझे के कानूनी प्रावधान और इसके प्रभावों के बारे में।
 

दिल्ली में पतंगबाजी का बढ़ता खतरा


दिल्ली में पतंगबाजी का उत्साह फिर से खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। प्रतिबंधित चीनी मांझे का व्यापार अब 'धागा 302' के कोड नाम से चल रहा है। इसे सादे कागज में लपेटकर, व्हाट्सएप के माध्यम से ऑर्डर देकर और कुछ निश्चित स्थानों पर डिलीवरी के जरिए बेचा जा रहा है। यह गुप्त और अवैध तरीके से मांझा दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों जैसे लाल कुआं, सदर बाजार, तुर्कमान गेट और ओखला में पहुंच चुका है।


पक्षियों के लिए गंभीर खतरा

पिछले चार दिनों में 250 से अधिक पक्षी इस खतरनाक चीनी मांझे के कारण गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। पक्षी संरक्षण संगठन 'विद्या सागर जीव दया परिवार' के अनुसार, इनमें से कई पक्षियों ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी है, पंख कट गए हैं, और कुछ की मौत भी हो चुकी है। कबूतर, चील और तोते इस खतरे का सबसे अधिक शिकार बने हैं।


पक्षियों को बचाने के लिए बढ़ती कॉल

संगठन के निदेशक अभिषेक जैन ने बताया कि 1 से 4 अगस्त के बीच उन्हें 300 से अधिक मदद के कॉल प्राप्त हुए, जिनमें से लगभग 50 पक्षियों को प्रतिदिन सुरक्षित किया गया। हालांकि, हर 50 में से कम से कम 5 पक्षी इतने घायल होते हैं कि उनकी जान बचाना संभव नहीं होता।


पुलिस की कार्रवाई और हड़कंप

4 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जिनके पास से 660 रोल चीनी मांझा बरामद हुआ। इसके बावजूद, प्रशासन को इस अवैध व्यापार को रोकने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई एनजीओ, चिकित्सक और व्यापारी अब सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और जनता से अपील कर रहे हैं कि वे इस खतरनाक मांझे को न खरीदें और न बेचें।


चीनी मांझे का खतरा

यह मांझा नायलॉन या प्लास्टिक से बना होता है, जिस पर कांच और धातु की परत चढ़ाई जाती है, जिससे इसकी धार बहुत तेज होती है। यह न केवल पक्षियों के लिए, बल्कि राहगीरों के लिए भी घातक साबित होता है। भारत में 2017 से चीनी मांझे के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध है, फिर भी यह चोरी-छिपे फैलता जा रहा है।


कानूनी प्रावधान और दंड

भारतीय दंड संहिता 2023 की धारा 223 के तहत इस मांझे का खरीदना या बेचना गैरकानूनी है। इसके लिए ₹5,000 तक का जुर्माना या एक वर्ष तक की जेल की सजा का प्रावधान है।


निष्कर्ष

दिल्ली में अवैध चीनी मांझे का व्यापार न केवल पक्षियों की जान ले रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा पैदा कर रहा है। इस खतरे से निपटने के लिए प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी होगी, और जनता से भी अपील की जाती है कि वे इस खतरनाक वस्तु से दूर रहें और इसकी खरीद-फरोख्त में सहयोग न करें।


सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए यह समय जागरूक होने का है, ताकि प्रकृति और जीव-जंतुओं को बचाया जा सके।