गुरु पर्व 2025: गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों का महत्व
गुरु पर्व का महत्व
गुरु पर्व
गुरु नानक जयंती, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के अवसर पर मनाई जाती है। इसे गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है, जो सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है, जो इस बार 5 नवंबर को है। इस वर्ष गुरु नानक देव की 556वीं जयंती मनाई जाएगी। इस दो दिवसीय महोत्सव में 48 घंटे तक गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है, शोभायात्रा निकाली जाती है और विशाल लंगर का आयोजन किया जाता है। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में मानवता, समानता और सत्य के कई उपदेश दिए।
गुरु नानक देव जी के सिद्धांत
गुरु नानक देव जी के सिद्धांत
गुरु नानक देव जी के तीन मुख्य सिद्धांत हैं: नाम जपो, किरत करो, वंड छको। इन्हें आमतौर पर ‘नाम जपना’, ‘किरत करनी’, और ‘वंड छकना’ के रूप में जाना जाता है। आइए जानते हैं कि “नाम जपो, किरत करो, वंड छको” का क्या अर्थ है और आज के समय में इनका क्या महत्व है।
नाम जपो, किरत करो, वंड छको का अर्थ
नाम जपो, किरत करो, वंड छको का मतलब
गुरु नानक जी के ये तीन सिद्धांत जीवन को सार्थक बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। “नाम जपो, किरत करो, वंड छको” का अर्थ है: ईश्वर का नाम लेना (नाम जपो), ईमानदारी से मेहनत करना (किरत करो) और अर्जित धन को दूसरों के साथ बांटना (वंड छको)। आज भी, ये सिद्धांत संतुलित और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं, जो भक्ति, परिश्रम और सामुदायिक सेवा पर जोर देते हैं।
नाम जपो: ईश्वर का स्मरण करें और उसके नाम का जाप करें। इसका अर्थ है अपनी चेतना को एक उच्च शक्ति से जोड़ना।
किरत करो: ईमानदारी और मेहनत से आजीविका कमाएं। यह सिद्धांत निष्ठा और नैतिक मूल्यों के साथ कार्य करने पर जोर देता है।
वंड छको: अपनी संपत्ति, भोजन और जो कुछ भी कमाया है, उसे जरूरतमंदों के साथ बांटें। यह समुदाय और समानता की भावना को बढ़ावा देता है।
आज के समय में ये सिद्धांत व्यक्तियों को आध्यात्मिक रूप से केंद्रित रहने और नैतिक मूल्यों पर आधारित जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। “वंड छको” की भावना आज के समाज में अत्यंत आवश्यक है, जहां एकता, दान और जरूरतमंदों की सहायता से समुदाय मजबूत होता है.