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गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी: जानें क्या है अंतर

गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के बीच का अंतर जानना महत्वपूर्ण है। यह लेख इन तीनों चतुर्थियों के अर्थ, समय और उद्देश्य को स्पष्ट करता है। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव का पर्व है, जबकि विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी का अपना विशेष महत्व है। जानें कैसे ये त्योहार एक-दूस से भिन्न हैं और उनके पीछे की धार्मिक मान्यताएँ क्या हैं।
 

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी

जैसे एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, उसी प्रकार हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। इस दिन गणपति बप्पा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और उनके लिए व्रत भी रखा जाता है। अक्सर लोग विनायक चतुर्थी, गणेश चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के बीच भ्रमित रहते हैं। इस लेख में हम इन तीनों चतुर्थियों के बीच के अंतर को स्पष्ट करेंगे।

संकष्टी चतुर्थी

  • अर्थ: ‘संकट से मुक्ति’ का प्रतीक।
  • कब: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर।
  • उद्देश्य: जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति प्राप्त करना।
  • अन्य नाम: संकटहारा चतुर्थी।

विनायक चतुर्थी

  • अर्थ: ‘विनायक’ भगवान गणेश का एक नाम है, इसलिए यह चतुर्थी उनकी पूजा के लिए होती है।
  • कब: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर।
  • उद्देश्य: भगवान गणेश की आराधना करना।
  • अन्य नाम: वरदा विनायक चतुर्थी।

गणेश चतुर्थी

  • अर्थ: भगवान गणेश के जन्मोत्सव का पर्व।
  • कब: हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर।
  • उद्देश्य: भगवान गणेश के जन्म का उत्सव मनाना।
  • विशेषता: यह 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो अन्य मासिक ‘विनायक चतुर्थी’ त्योहारों की तुलना में बहुत बड़ा होता है।

(यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।)