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काल भैरव और बटुक भैरव: जानें दोनों में क्या अंतर है

इस लेख में काल भैरव और बटुक भैरव के बीच के अंतर को समझाया गया है। जानें कि कैसे ये दोनों भगवान शिव के अलग-अलग स्वरूप हैं और उनकी पूजा के तरीके क्या हैं। काल भैरव का उग्र रूप और बटुक भैरव का सौम्य स्वरूप भक्तों के लिए क्या महत्व रखते हैं, यह जानने के लिए पढ़ें।
 

काल भैरव और बटुक भैरव

काल भैरव और बटुक भैरव

काल भैरव और बटुक भैरव: यह तो सभी जानते हैं कि काल भैरव भगवान शिव का उग्र रूप है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन दोनों में क्या भिन्नता है। कुछ लोग मानते हैं कि बटुक भैरव और काल भैरव एक ही हैं, जबकि दोनों अलग-अलग स्वरूप हैं। वर्तमान में काल भैरव की पूजा का प्रचलन अधिक है, लेकिन बटुक भैरव की पूजा का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कि काल भैरव और बटुक भैरव में क्या अंतर है।

काल भैरव और बटुक भैरव

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के रक्त से भैरव का जन्म हुआ था, जो बाद में दो भागों में विभाजित हो गए – एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। इन दोनों में मुख्य अंतर उनके स्वरूप में है। काल भैरव उग्र और प्रचंड हैं, जबकि बटुक भैरव सौम्य और बाल स्वरूप हैं। काल भैरव की पूजा में सात्विक और तामसिक दोनों प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, जबकि बटुक भैरव की पूजा में केवल सात्विक भोग का ही प्रयोग होता है।

काल भैरव के गुण

  • यह भगवान शिव का उग्र और क्रोधित रूप है।
  • इनकी पूजा मंदिर में की जाती है, न कि घर में।
  • यह अपराधों पर नियंत्रण करने वाले माने जाते हैं।
  • इनकी पूजा में तामसिक भोग भी अर्पित किया जाता है, विशेषकर तंत्र साधना में।
  • इनकी पूजा से तात्कालिक फल की प्राप्ति होती है।
  • इनकी पूजा शत्रुओं पर विजय और कानूनी मामलों में सफलता के लिए की जाती है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के अपमान के कारण काल भैरव का जन्म हुआ।

बटुक भैरव के गुण

  • यह भगवान शिव का सौम्य और बाल स्वरूप है, जो सुरक्षा का प्रतीक है।
  • इनकी पूजा अक्सर घरों में की जाती है।
  • यह भक्तों को अभय देने वाले और शीघ्र प्रसन्न होने वाले माने जाते हैं।
  • बटुक भैरव की पूजा में केवल सात्विक भोग अर्पित किया जाता है।
  • इनकी पूजा का फल प्राप्त होने में समय लग सकता है, लेकिन यह जीवन के विघ्नों को दूर करते हैं।
  • ऐसी मान्यता है कि मां काली के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने बटुक भैरव का बाल स्वरूप धारण किया था।