कांवड़ यात्रा 2025: सुरक्षा के विशेष इंतजामों के साथ श्रद्धालुओं की यात्रा
कांवड़ यात्रा का महत्व
कांवड़ यात्रा, जो भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली वार्षिक तीर्थ यात्रा है, गोमुख या गंगोत्री से आरंभ होती है। भक्त यहाँ से गंगा का पवित्र जल लेकर नीलकंठ की ओर बढ़ते हैं, जहाँ इसे भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। यह यात्रा श्रावण मास में होती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार जुलाई से अगस्त के बीच आती है। पहले यह यात्रा केवल संतों द्वारा की जाती थी, लेकिन अब इसमें युवा, महिलाएँ और बच्चे भी शामिल होते हैं। श्रद्धालु यात्रा के दौरान 'बोल बम' और 'हर हर महादेव' का जाप करते हैं।
सुरक्षा के इंतजाम
इस बार कांवड़ यात्रा के दौरान शाहजहांपुर जिले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। पुलिस प्रशासन ने बताया कि कांवड़ यात्री पुलिस की निगरानी में अपने गंतव्य की ओर बढ़ेंगे। पूरे यात्रा मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं और ड्रोन कैमरों का भी उपयोग किया जाएगा। कांवड़ यात्री फर्रुखाबाद के पांचाल घाट से गंगा जल लेकर लगभग 160 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।
पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने जानकारी दी कि यात्रा मार्ग पर हर थाने के बाहर एक शिविर स्थापित किया जाएगा, जहाँ पुलिस बल तैनात रहेगा। पुलिस कर्मियों की ड्यूटी का निरीक्षण भी किया जाएगा।
निगरानी और सुरक्षा
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों की पहुँच मुख्यालय के नियंत्रण कक्ष तक होगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या किसी खुफिया सूचना के आधार पर सुरक्षा बढ़ाई गई है, तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है। यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि वे कांवड़ियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुँचाने में मदद करें। इस बार श्रावण मास 11 जुलाई से 9 अगस्त तक रहेगा।