करवा चौथ 2025: आरती का महत्व और विधि
करवा चौथ 2025
करवा चौथ 2025
करवा चौथ आरती का महत्व: आज का दिन वैवाहिक जीवन का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे करवा चौथ के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर साल कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से महिलाओं के पतियों की आयु में वृद्धि होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन पूजा के समय आरती का पाठ करना अनिवार्य है। आइए जानते हैं करवा चौथ की पूजा में कौन सी आरती का पाठ करना चाहिए और इसका महत्व क्या है।
करवा चौथ आरती (Karwa Mata Aarti)
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया। जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी। यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी..
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती। दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया। जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे। गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया। जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे। व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया। जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
श्री गणेशजी आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी..
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा..
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया..
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी..
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
आरती का महत्व
करवा चौथ के दिन व्रत के साथ-साथ करवा माता की पूजा करना आवश्यक है। इसके साथ ही शिव-पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा के दौरान करवा माता की आरती का पाठ करना अनिवार्य है। आरती करने से पूजा का समापन होता है और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि पूजा के दौरान आरती नहीं की जाती है, तो फल की प्राप्ति अधूरी मानी जाती है।