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उत्पन्ना एकादशी 2025: व्रत के नियम और वर्जित कार्य

उत्पन्ना एकादशी 2025, जो 15 नवंबर को मनाई जाएगी, एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस दिन क्या करना चाहिए और किन कार्यों से बचना चाहिए। व्रत के नियमों और वर्जित कार्यों की जानकारी प्राप्त करें ताकि आप इस पवित्र दिन का सही तरीके से पालन कर सकें।
 

उत्पन्ना एकादशी 2025

उत्पन्ना एकादशी 2025


उत्पन्ना एकादशी के व्रत के नियम: यह पर्व हर साल अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी से सभी एकादशी व्रतों की शुरुआत होती है। इस वर्ष, उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर को है। यदि आप इस व्रत का पालन करने का विचार कर रहे हैं, तो जानें कि इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं।


उत्पन्ना एकादशी पर क्या करें?


एकादशी से एक दिन पहले, यानी दशमी तिथि पर केवल सात्विक भोजन करें।


एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले गंगाजल से स्नान करें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें।


भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और देवी एकादशी की पूजा करें।


शाम को तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं, लेकिन तुलसी को छूने से बचें।


एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें और रात में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।


द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत का समापन करें।


उत्पन्ना एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?



  • इस दिन चावल खाना या बनाना वर्जित है। दालें (जैसे मटर, मसूर, चना) का सेवन भी न करें।

  • मांस, मछली, शराब, प्याज, लहसुन, पान और साधारण नमक का सेवन न करें।

  • कांसे के बर्तन में भोजन करने से बचें।

  • दिन में सोने से बचें।

  • झूठ बोलना, क्रोध करना, बहस या झगड़ा करने से बचें।

  • बाल धोना, नाखून काटना, शरीर पर तेल लगाना या साबुन का उपयोग न करें।

  • तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ें, क्योंकि ये पवित्र माने जाते हैं।

  • बिस्तर पर नहीं, बल्कि जमीन या चौकी पर सोएं।

  • काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।

  • घर को गंदा न रखें, लेकिन पोंछा लगाने से बचें।


(यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।)