इन्द्रायण (Colocynth) के अद्भुत लाभ और उपयोग
इन्द्रायण (Colocynth) का परिचय
➡ इन्द्रायण (Colocynth): नमस्कार दोस्तों! एक बार फिर से आपका स्वागत है All Ayurvedic में। आज हम इन्द्रायण के 60 फायदों के बारे में चर्चा करेंगे। इन्द्रायण मुख्यतः तीन प्रकार की होती है: छोटी, बड़ी और लाल इन्द्रायण। यह एक लता है जो मरूभूमि या बलुई क्षेत्रों में पाई जाती है और भारत में इसे खेतों में उगाया जाता है।
इन्द्रायण के प्रकार
➡ इन्द्रायण (Colocynth) के 3 प्रकार:
- छोटी इन्द्रायण: इसे संस्कृत में एन्द्री, चित्रा, गावाक्षी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी बेलों के पत्ते खंडित होते हैं और इसके फूल घंटे के आकार के पीले होते हैं।
- बड़ी इन्द्रायण: इसे महाफला और विशाला कहा जाता है। इसके फल गोल और लंबे होते हैं, जिनका रंग पकने पर नीला हरा हो जाता है।
- लाल इन्द्रायण: यह बड़ी इन्द्रायण के समान होती है, लेकिन इसके फूल सफेद और फल पकने पर लाल रंग के होते हैं।
इन्द्रायण का औषधीय उपयोग
➡ इन्द्रायण (Colocynth) का सेवन:
- इन्द्रायण के फलों का चूर्ण 1 ग्राम के चौथाई भाग से लेकर आधा ग्राम तक लेना चाहिए।
➡ इन्द्रायण के 65 अद्भुत फायदे:
- गंजेपन में नए बाल उगाने के लिए इन्द्रायण के पत्तों का रस तिल के तेल में पकाकर सिर पर लगाना लाभकारी है।
- सिरदर्द में इन्द्रायण के फल का रस या जड़ की छाल का लेप मस्तक पर लगाने से राहत मिलती है।
- श्वास रोग में इन्द्रायण के फलों का सेवन फायदेमंद है।
- बवासीर के मस्सों पर इन्द्रायण के बीजों का लेप लगाने से लाभ होता है।
- मलेरिया बुखार में इन्द्रायण का चूर्ण शहद के साथ लेना फायदेमंद है।
इन्द्रायण के सेवन में सावधानी
हानिकारक प्रभाव: इन्द्रायण का सेवन सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन से पेट में मरोड़ और विषाक्तता के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
नोट: गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
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