आयुर्वेदिक उपचार: 3 औषधियों का चमत्कारी मिश्रण
आयुर्वेदिक उपचार का महत्व
कई बार लोग एलोपैथिक डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाते हैं, लेकिन जब स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता, तो वे आयुर्वेद की ओर रुख करते हैं। इस समय तक, बीमारी उनके शरीर में गहराई से समा चुकी होती है, और वे महंगी दवाओं के दुष्प्रभाव भी सहन करते हैं।
आयुर्वेदिक उपचार के बाद रोगी को स्वास्थ्य में सुधार का अनुभव होता है, और वह सोचता है कि यदि वह पहले ही आयुर्वेद का सहारा लेता तो बेहतर होता। इसलिए, रोग के प्रारंभिक चरण में ही आयुर्वेदिक उपचार लेना आवश्यक है। यहां हम आपको कुछ औषधियों के बारे में बताएंगे, जिनसे आप कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इन तीन औषधियों का सेवन सर्दियों में करना सबसे लाभकारी है।
चमत्कारी औषधि बनाने के लिए सामग्री
इन तीन औषधियों का मिश्रण तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री:
- 250 ग्राम मैथीदाना
- 100 ग्राम अजवाईन
- 50 ग्राम काली जीरी
औषधि बनाने की विधि
इन तीनों सामग्रियों को अच्छे से साफ करके हल्का सेंकें, फिर इन्हें मिलाकर मिक्सर में पाउडर बना लें और कांच की बोतल में भर लें।
सेवन की विधि
रात को सोने से पहले एक चम्मच पाउडर को एक गिलास हल्के गर्म पानी के साथ लें। गर्म पानी के साथ लेना बहुत जरूरी है, और लेने के बाद कुछ भी खाना-पीना नहीं है। यह चूर्ण सभी उम्र के लोग ले सकते हैं।
इस चूर्ण का नियमित सेवन करने से शरीर में जमा गंदगी मल और पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाएगी। 80-90 दिन में आपको इसके पूरे लाभ का अनुभव होगा, जब अतिरिक्त चर्बी घट जाएगी और नया शुद्ध रक्त बनेगा। आपकी त्वचा की झुर्रियां भी कम हो जाएंगी, और आपका शरीर स्वस्थ और सुंदर बनेगा।
इन 18 रोगों में फायदेमंद
यह औषधि निम्नलिखित 18 रोगों में लाभकारी है:
- गठिया और उससे संबंधित समस्याएं दूर होंगी।
- हड्डियों की मजबूती बढ़ेगी।
- आंखों की रोशनी में सुधार होगा।
- बालों का विकास होगा।
- पुरानी कब्ज से राहत मिलेगी।
- रक्त संचार बेहतर होगा।
- कफ से मुक्ति मिलेगी।
- हृदय की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी।
- कान का बहरापन दूर होगा।
- एलोपैथी दवाओं के दुष्प्रभाव से राहत मिलेगी।
- रक्त की सफाई और शुद्धता बढ़ेगी।
- रक्त की सभी नलिकाएं शुद्ध होंगी।
- दांत मजबूत होंगे।
- नपुंसकता दूर होगी।
- थकान कम होगी।
- स्मरण शक्ति में वृद्धि होगी।
- महिलाओं का शरीर शादी के बाद सुंदर बनेगा।
- डायबिटीज नियंत्रित रहेगी।
महत्वपूर्ण जानकारी
कृपया ध्यान दें:
कुछ लोग कलौंजी को काली जीरी समझते हैं, जो गलत है। काली जीरी अलग होती है और इसे आप आयुर्वेद की दुकान से प्राप्त कर सकते हैं। यह हल्की कड़वी होती है।
काली जीरी की पहचान
- हिन्दी: कालीजीरी, करजीरा।
- संस्कृत: अरण्यजीरक, कटुजीरक।
- मराठी: कडूकारेलें।
- गुजराती: कडबुंजीरू।
- बंगाली: बनजीरा।
- अंग्रेजी: पर्पल फ्लीबेन (Purple Fleabane)