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अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान का महत्व

अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान का विशेष महत्व है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तों की एक बड़ी संख्या मथुरा पहुंचती है, क्योंकि मान्यता है कि यहां स्नान करने से संतान प्राप्ति और अन्य मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस लेख में हम राधा कुंड में स्नान के लाभ और इसके पीछे की पौराणिक कथाओं के बारे में जानेंगे।
 

अहोई अष्टमी और राधा कुंड का स्नान

राधा कुंड में स्नान

अहोई अष्टमी का महत्व: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी मनाई जाती है, जो इस वर्ष 13 अक्टूबर को आएगी। मथुरा में इस दिन का विशेष महत्व है, खासकर राधा कुंड में स्नान करने की परंपरा के कारण। इस अवसर पर भक्तों की एक बड़ी संख्या राधा कुंड में स्नान करने के लिए एकत्र होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान का क्या महत्व है।

अहोई अष्टमी पर स्नान की परंपरा

अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान एक प्राचीन और पवित्र परंपरा है। इस दिन हजारों भक्त मथुरा पहुंचते हैं, क्योंकि मान्यता है कि यहां स्नान करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। आधी रात को राधा कुंड के पवित्र जल में स्नान करने से भक्तों को राधा-कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है, और निःसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद, भक्त राधा रानी को धन्यवाद देने के लिए पुनः स्नान करते हैं।

राधा कुंड में स्नान के लाभ

संतान प्राप्ति: मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। जिन दंपत्तियों को संतान पाने में कठिनाई हो रही है, वे इस दिन यहां स्नान करने आते हैं।

मनोकामनाएं पूरी होना: कहा जाता है कि राधा कुंड में स्नान करने से भक्तों की अन्य सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

पापों से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि राधा कुंड में स्नान करने से गौ हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिलती है।

राधा-कृष्ण की कृपा: मान्यता है कि राधा कुंड में स्नान करने से राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

पौराणिक कथा

कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण ने अरिष्टासुर नामक राक्षस का वध किया, तो उन पर गौ हत्या का पाप लग गया। इस पाप से मुक्ति के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। इसके बाद राधा रानी ने अपने कंगन से एक और कुंड खोदा, जिसे कंगन कुंड कहा जाता है। कहा जाता है कि अहोई अष्टमी तिथि पर इन कुंडों का निर्माण हुआ, इसलिए इस दिन इन कुंडों में स्नान का विशेष महत्व है।