होलिका दहन 2025: फाल्गुनी पूर्णिमा पर भद्रा का प्रभाव
इस वर्ष होली का पर्व 13 मार्च को फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा, जिसमें भद्रा का प्रभाव रहेगा। जानें होलिका दहन का सही समय और भद्रा के प्रभाव के बारे में। इसके अलावा, 14 मार्च को धुलंडी पर चंद्रग्रहण भी होगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा। इस लेख में जानें कि कैसे ये तिथियाँ धार्मिक महत्व रखती हैं और क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
Aug 15, 2025, 07:12 IST
होलिका दहन का समय और भद्रा का प्रभाव
रंगों का पर्व होली इस वर्ष 13 मार्च को फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। इस दिन होलिका दहन पर भद्रा का प्रभाव रहेगा, जिससे प्रदोषकाल में दहन नहीं किया जा सकेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, मध्यरात्रि में होलिका दहन का सबसे अच्छा समय 1 घंटे 4 मिनट होगा। भद्रा इस दिन 12 घंटे 51 मिनट तक रहेगी। यदि भद्रा मध्यरात्रि तक बनी रहती है, तो शास्त्रों के अनुसार पूंछ में होलिका दहन की अनुमति है।
पूर्णिमा का आरंभ और भद्रा का समय
यह रहेगा पूर्णिमा के आरंभ होने का समय
- फाल्गुनी पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। भद्रा भी इसी समय में रात 11:26 बजे तक रहेगी।
- भद्रा का मुख रात 8:14 से 10:22 बजे तक और पूंछ का समय शाम 6:57 से 8:14 बजे तक होगा।
- ज्योतिषी शिव नारायण तिवारी के अनुसार, होलिका दहन सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय होना चाहिए जब पूर्णिमा तिथि हो।
- यदि भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में होती है, तो उस समय होलिका पूजा और दहन नहीं करना चाहिए।
होलिका दहन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
दहन के दौरान रखा जाता इन बातों का ध्यान
- ज्योतिषी विनायक तिवारी ने बताया कि भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा पर होलिका दहन करना उत्तम है।
- यदि भद्रा प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के समय समाप्त हो जाए, तो उसके बाद होलिका दहन करना चाहिए।
- यदि भद्रा मध्यरात्रि तक बनी रहती है, तो पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है।
- धर्म सिंधु के अनुसार, भद्रा मुख में होलिका दहन करना अनिष्टकारी माना जाता है।
- कभी-कभी यदि प्रदोष और भद्रा पूंछ दोनों में होलिका दहन संभव न हो, तो प्रदोष के बाद दहन करना चाहिए।
धुलेंडी पर चंद्रग्रहण का प्रभाव
धुलेंडी पर चंद्रग्रहण, नहीं लगेगा सूतक
- होलिका दहन के अगले दिन, 14 मार्च को धुलंडी पर चंद्र ग्रहण होगा, जो सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तक रहेगा।
- भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
- ज्योतिषियों के अनुसार, इस दौरान चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा।
- इस समय कन्या राशि में केतु भी रहेगा, जिससे ग्रहों की युति बन रही है।