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हैरी ली: 15 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी की अद्भुत कहानी

हैरी ली की कहानी क्रिकेट की दुनिया में एक अद्भुत उदाहरण है। 15 साल तक उनकी मौत की खबर सच मानी गई, लेकिन उन्होंने न केवल वापसी की, बल्कि इंग्लैंड के लिए टेस्ट डेब्यू भी किया। जानें उनके संघर्ष, युद्ध के अनुभव और क्रिकेट में उनकी यात्रा के बारे में। यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति ने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने सपनों को पूरा किया।
 

हैरी ली का अनोखा सफर

टेस्ट डेब्यू – क्रिकेट की दुनिया में कई प्रेरणादायक कहानियाँ हैं, लेकिन इंग्लैंड के क्रिकेटर हैरी ली की कहानी सबसे अनोखी है। 15 साल तक उनकी मौत की खबर सच मानी गई, लेकिन उन्होंने न केवल क्रिकेट में वापसी की, बल्कि इंग्लैंड के लिए टेस्ट डेब्यू भी किया। आइए जानते हैं इस कहानी के और भी दिलचस्प पहलुओं के बारे में।


हैरी ली का सपना

लॉर्ड्स पर खेलने की ख्वाहिश

हैरी ली का जन्म 1890 में हुआ था। उनका परिवार साधारण था, और उनके पिता सब्जी और कोयले का व्यापार करते थे। लेकिन हैरी का सपना बड़ा था—वो क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स पर खेलना चाहते थे। महज 15 साल की उम्र में उन्होंने MCC को पत्र लिखकर ग्राउंड स्टाफ की नौकरी मांगी।


विश्व युद्ध और मौत की अफवाह

युद्ध का प्रभाव

हालात ने अचानक मोड़ लिया जब पहला विश्व युद्ध छिड़ गया। हैरी ली ब्रिटिश सेना में भर्ती हो गए और मई 1915 में फ्रांस के ऑबर्स रिज युद्ध में घायल हो गए। उनकी जांघ में गोली लगी और वे तीन दिन तक “नो मैन्स लैंड” में पड़े रहे। इस दौरान उनकी मौत की खबर फैल गई और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।


हैरी की वापसी

जिंदा लौटना और संघर्ष

हकीकत यह थी कि जर्मन सैनिकों ने हैरी को अस्पताल पहुँचाया और कैदी बना लिया। गंभीर चोटों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। अक्टूबर 1915 में उन्हें इंग्लैंड भेजा गया, लेकिन एक पैर छोटा हो चुका था। डॉक्टरों ने कहा कि अब क्रिकेट खेलना नामुमकिन है। फिर भी, मिडलसेक्स क्लब ने उनका साथ दिया और 1919 में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में वापसी की।


टेस्ट डेब्यू

15 साल बाद टेस्ट डेब्यू

करीब 15 साल बाद, 1930-31 में इंग्लैंड की टीम साउथ अफ्रीका दौरे पर गई। चोटों से जूझ रही टीम को एक भरोसेमंद बल्लेबाज़ की तलाश थी और सेलेक्टर्स ने हैरी ली को चुना। फरवरी 1931 में उन्होंने इंग्लैंड के लिए अपना टेस्ट डेब्यू किया। चौथे टेस्ट में उन्होंने ओपनिंग की और 18 तथा 11 रन बनाए।


संन्यास और लंबी उम्र

क्रिकेट से संन्यास

हैरी ली ने 1934 में क्रिकेट से संन्यास लिया और बाद में फर्स्ट क्लास अंपायर बने। उन्होंने लंबी उम्र पाई और 90 साल की आयु तक जीवित रहे। उनकी कहानी क्रिकेट इतिहास की सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक मानी जाती है।


FAQs

FAQs

हैरी ली का टेस्ट डेब्यू कब हुआ था?
हैरी ली ने फरवरी 1931 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ इंग्लैंड की ओर से अपना टेस्ट डेब्यू किया था।
हैरी ली को मौत के 15 साल बाद क्यों याद किया जाता है?
1915 में युद्ध के दौरान उन्हें मृत मान लिया गया था, लेकिन 15 साल बाद उन्होंने इंग्लैंड के लिए टेस्ट डेब्यू किया और यही उन्हें इतिहास में खास बनाता है।