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हेल्थ टॉनिक के नाम पर धोखा: राजीव दीक्षित का खुलासा

राजीव दीक्षित ने हेल्थ टॉनिक के बारे में गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने बताया है कि ये उत्पाद वास्तव में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी नहीं हैं। उन्होंने इन टॉनिक में मौजूद सामग्री का विश्लेषण किया और बताया कि ये साधारण खाद्य पदार्थों से बने होते हैं। जानें कैसे कंपनियां भावनात्मक दबाव डालकर उपभोक्ताओं से पैसे वसूलती हैं और क्या विकल्प हैं जो सस्ते और स्वस्थ हैं।
 

हेल्थ टॉनिक का सच


भारत में कई कंपनियां हेल्थ टॉनिक बेच रही हैं, लेकिन वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का कहना है कि इनमें से कोई भी टॉनिक स्वास्थ्य लाभ नहीं देता। बूस्ट, हॉर्लिक्स, प्रोटीन एक्स, बोर्न वीटा, कोम्प्लैन, और माल्टोवा जैसे उत्पादों का दावा किया जाता है, लेकिन इनमें कोई विशेष तत्व नहीं होता जो बच्चों को ताकत दे सके। इन टॉनिक को फ़ूड सप्लीमेंट के रूप में बेचा जाता है, जिसका मतलब है कि पहले खाना खाओ, ताकत उसी से आएगी।


राजीव दीक्षित ने जब इन टॉनिक का विश्लेषण किया, तो उन्हें पता चला कि इनमें गेहूं का आटा, जौ का आटा, चने का आटा, मूंगफली की खली, और तिल की खली जैसी साधारण सामग्री होती है। यदि आप ये सामग्री बाजार से खरीदें, तो एक किलो हेल्थ टॉनिक बनाने में केवल 48 रुपये खर्च होते हैं, जबकि कंपनियां इसे 320 से 380 रुपये तक बेचती हैं।


वैज्ञानिकों का कहना है कि एक किलो हेल्थ टॉनिक खाने से उतनी ही ताकत मिलेगी जितनी 25 ग्राम मूंगफली या चने को गुड़ के साथ खाने से मिलती है। ये कंपनियां हर साल 5000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रही हैं, और इसके लिए वे भावनात्मक दबाव का सहारा लेती हैं। विज्ञापनों में माताओं को दिखाया जाता है कि उन्हें अपने बच्चों की ग्रोथ और विकास की कितनी चिंता है।


राजीव दीक्षित का कहना है कि यदि आप अपने बच्चों को ये टॉनिक खिलाते हैं, तो आप अपनी मेहनत की कमाई बर्बाद कर रहे हैं। इसके बजाय, घर में मूंगफली, चना, गुड़, और तिल का आटा लाकर दूध में मिलाकर बच्चों को दें। यह न केवल सस्ता है, बल्कि गुणवत्ता में भी बेहतर है। इसलिए, हेल्थ टॉनिक के झांसे में मत आइए।