हेमंत सोरेन: झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में राजनीतिक यात्रा और उपलब्धियाँ
हेमंत सोरेन, जो दिसंबर 2019 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने, ने राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके कार्यकाल में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कोविड-19 महामारी और बेरोजगारी। हालांकि, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सतत विकास के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की है। इस लेख में, हम उनकी राजनीतिक यात्रा, उपलब्धियों और भविष्य की दिशा पर चर्चा करेंगे, जो झारखंड के नागरिकों के लिए प्रगति और विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
Aug 4, 2025, 17:10 IST
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा
हेमंत सोरेन, जो दिसंबर 2019 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने, राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सदस्य के रूप में, उनकी नेतृत्व शैली और शासन ने राज्य की चुनौतियों का सामना किया है और उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। इस लेख में, हम सोरेन के राजनीतिक विकास, उनके द्वारा सामना की गई कठिनाइयों और उनके द्वारा स्थापित मील के पत्थरों पर चर्चा करेंगे, साथ ही यह भी देखेंगे कि उन्होंने झारखंड को प्रगति की दिशा में कैसे अग्रसर किया है।
प्रारंभिक राजनीतिक यात्रा
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को हुआ। वे शिबू सोरेन के पुत्र हैं, जो एक प्रमुख आदिवासी नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। हेमंत ने 2009 में राजनीति में कदम रखा और दुमका विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में अपनी पहली चुनावी जीत हासिल की। उनके पहले राजनीतिक वर्ष आदिवासी समुदायों के मुद्दों, जैसे भूमि अधिकार, शिक्षा और रोजगार पर केंद्रित रहे।
मुख्यमंत्री बनने की यात्रा
2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया, जो झारखंड की राजनीतिक दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव था। उनके नेतृत्व में एक ऐसी सरकार का गठन हुआ, जो विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देती थी और सतत विकास को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती थी।
मुख्य चुनौतियाँ
सोरेन का कार्यकाल चुनौतियों से भरा रहा है। कोविड-19 महामारी ने झारखंड को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा। महामारी के प्रबंधन में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और आर्थिक पुनर्निर्माण के प्रयासों को लेकर सोरेन की आलोचना भी हुई। इसके अलावा, बेरोजगारी एक निरंतर चुनौती बनी रही, जो महामारी के कारण और भी गंभीर हो गई।
भूमि अधिग्रहण और अधिकारों से संबंधित मुद्दे भी महत्वपूर्ण रहे, विशेषकर आदिवासी समुदायों के संदर्भ में। सोरेन को विकास और आदिवासी अधिकारों के संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ा।
शासन में उपलब्धियाँ
इन चुनौतियों के बावजूद, हेमंत सोरेन ने शासन में कई महत्वपूर्ण प्रगति की है। उनके प्रशासन ने झारखंड के लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए कई पहलों की शुरुआत की है। शिक्षा और कौशल विकास से संबंधित योजनाएँ, जैसे स्कूलों और व्यावासिक प्रशिक्षण केंद्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार, युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बनाई गई हैं।
सोरेन ने स्वास्थ्य और पोषण को भी प्राथमिकता दी है। उनकी सरकार ने मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए कार्यक्रमों की शुरुआत की है और कमजोर वर्गों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया है। ये पहलें राज्य की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को हल करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
सतत विकास की दिशा में कदम
सोरेन के नेतृत्व में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। झारखंड सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा, विशेषकर सौर ऊर्जा, पर जोर दिया है ताकि ऊर्जा की पहुँच को बढ़ाया जा सके और पर्यावरण के अनुकूल विकास को बढ़ावा दिया जा सके। यह प्रयास वैश्विक सततता लक्ष्यों के साथ मेल खाते हैं और राज्य के दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
भविष्य की दिशा
जैसे-जैसे हेमंत सोरेन अपने कार्यकाल को आगे बढ़ा रहे हैं, उनके सामने चुनौतियाँ और अवसर दोनों मौजूद हैं। बेरोजगारी का समाधान, प्रभावी शासन की गारंटी और आदिवासी समुदायों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक होगा। इसके अलावा, झारखंड को महामारी के बाद के पुनर्निर्माण की दिशा में अग्रसर करना, सोरेन के नेतृत्व में राज्य के लिए एक स्थिर और सतत भविष्य की ओर मार्गदर्शन करेगा।
हेमंत सोरेन का झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में सफर क्षेत्रीय राजनीति की जटिलताओं का एक उदाहरण है। हालांकि उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, उनके शासन में किए गए कार्य राज्य के लोगों के लिए प्रगति और विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते हैं, उम्मीद की जाती है कि उनकी नीतियाँ झारखंड के नागरिकों के लिए एक समान और समृद्ध राज्य बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।