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हाईकोर्ट ने सर तन से जुदा नारे को बताया अस्वीकार्य

हाईकोर्ट ने 'सर तन से जुदा' जैसे नारे को भारत में अस्वीकार्य करार दिया है। न्यायालय ने कहा कि यह नारा देश की संप्रभुता और कानून व्यवस्था के लिए खतरा है। बरेली में हुई हिंसा के संदर्भ में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे नारेबाजी को इंसाफ का प्रतीक नहीं माना जा सकता। जानें इस मामले में और क्या कहा गया।
 

हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 'सर तन से जुदा' जैसे नारे अब भारत में स्वीकार्य नहीं हैं। यह टिप्पणी मौलाना तौकीर रजा से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान की गई। न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा कि इस प्रकार की नारेबाजी को इंसाफ का प्रतीक नहीं माना जा सकता। भारत में केवल संविधान के अनुसार ही सभी चीजें चलेंगी।


बरेली में हुई हिंसा

बरेली में 26 सितंबर को एक बवाल हुआ, जिसके बाद कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ये आरोपी नमाज के बाद प्रदर्शन कर रहे थे और यूपी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर हमला हुआ, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हुए और कई वाहनों को नुकसान पहुंचा।


नारेबाजी का कानूनी पहलू

कोर्ट ने कहा कि 'सर तन से जुदा' जैसे नारे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए सीधी चुनौती हैं। यह नारे भारतीय कानून और सार्वजनिक शांति पर हमला करते हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में सजा देने का अधिकार केवल कानून को है, न कि भीड़ को।


जमानत पर रिहाई का आधार

अदालत ने कहा कि केस डायरी में यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता उस गैरकानूनी सभा का हिस्सा था जिसने न केवल आपत्तिजनक नारे लगाए बल्कि पुलिसकर्मियों को भी घायल किया। इसलिए, उसे जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं है।