हनुमान चालीसा पर वैज्ञानिक शोध: मानसिक और शारीरिक लाभ
हनुमान चालीसा की महत्ता
किसी भी कठिन परिस्थिति में जब हम डर का सामना करते हैं, तो हनुमान जी का स्मरण हमारे मन में आता है। बचपन से ही यह विश्वास था कि संकट के समय बजरंगबली हमारी रक्षा करेंगे। लेकिन आज के युग में आस्था को विज्ञान की कसौटी पर परखा जा रहा है। हाल ही में हनुमान चालीसा पर किए गए एक शोध ने वैज्ञानिकों को भी चकित कर दिया।
हनुमान चालीसा का इतिहास
हनुमान चालीसा की रचना 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा की गई थी, ताकि आम जनता इसे आसानी से समझ सके। इसे 'चालीसा' कहा जाता है क्योंकि इसमें 40 छंद और 2 दोहे शामिल हैं। ये दोहे चालीसा की शुरुआत और अंत में आते हैं। इन छंदों की विशेषता यह है कि अधिकांश अनुष्टुप शैली में हैं, जो लयबद्ध और रिपिटेटिव होते हैं, जिससे ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
हनुमान चालीसा पर शोध के निष्कर्ष
यह शोध नीरा गोयल के नेतृत्व में जर्नल ऑफ़ इवोल्यूशन ऑफ़ मेडिकल एंड डेंटल साइंसेज द्वारा किया गया। इसमें 18 से 22 वर्ष के MBBS छात्रों को प्रतिदिन हनुमान चालीसा सुनाई गई, जिसके परिणामस्वरूप उनके रक्तचाप में कमी और एकाग्रता में वृद्धि देखी गई।
AIIMS और ICMR का शोध
AIIMS और ICMR के शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन केवल 10 मिनट हनुमान चालीसा का पाठ करता है, तो इससे हार्ट रेट कम करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और बेहतर नींद में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह PTSD, चिंता और ADHD जैसे विकारों में भी राहत प्रदान करता है।
हनुमान चालीसा के लाभ
शोधकर्ताओं का मानना है कि हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से उत्पन्न ध्वनि कंपन व्यक्ति को लाभ पहुंचाता है। यह तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कोर्टिसोल को कम करता है और खुशी का हार्मोन सेरोटोनिन बढ़ाता है। इसके साथ ही, डोपामाइन का स्तर भी बढ़ता है, जो व्यक्ति को अच्छा महसूस कराता है।
सर्जरी के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ
2021 में AIIMS में एक युवती ने 3 घंटे तक चलने वाली सर्जरी के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किया। युक्ति अग्रवाल को ट्यूमर के इलाज के लिए भर्ती किया गया था, और ऑपरेशन सफल रहा। इस दौरान वह जागती रहीं और हनुमान चालीसा का पाठ करती रहीं।
हनुमान चालीसा के अद्भुत तथ्य
हनुमान चालीसा में एक दोहा है, 'जग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू।' कई विद्वान इसे धरती और सूर्य की दूरी बताने वाला मानते हैं। भारतीय शास्त्रों के अनुसार, एक युग 12000 वर्ष का होता है। यदि इसे गणना की जाए, तो धरती और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 153600000 किमी होती है, जो वैज्ञानिकों द्वारा 1653 में निर्धारित दूरी के करीब है।