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स्मार्टफोन की लत: स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव

आजकल की जीवनशैली में स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि बच्चों में मायोपिया जैसे स्वास्थ्य मुद्दों का भी कारण बन सकता है। शोध में यह पाया गया है कि बार-बार फोन चेक करने से समस्या समाधान की क्षमता में कमी आती है और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। जानें इस विषय पर और क्या कहता है हालिया अध्ययन।
 

स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग का प्रभाव

Checking mobile repeatedly can be fatal for health, you will be surprised to know the loss


नई दिल्ली: वर्तमान जीवनशैली ने लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक, लोग कई ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। इनमें से एक प्रमुख समस्या मोबाइल फोन की लत है। लोग सुबह उठते ही अपने फोन की जांच करने की आदत बना चुके हैं। बार-बार फोन चेक करने से मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि सभी आयु वर्ग के लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है और बार-बार फोन चेक करना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।


आईफोन उपयोगकर्ताओं पर अध्ययन

ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बार-बार फोन चेक करने से दैनिक जीवन में समस्याओं को हल करने की क्षमता में कमी आ सकती है। यह आदत समस्या समाधान के दृष्टिकोण को कमजोर कर सकती है।


ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

अध्ययन में यह भी सामने आया कि लोग छोटी-छोटी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए फोन का सहारा ले रहे हैं। चाहे बोरियत हो या समय बिताना, लोग अपने स्मार्टफोन में व्यस्त हो जाते हैं। इससे उनका ध्यान भटकता है और काम अधूरे रह जाते हैं। स्मार्टफोन के उपयोग के कारण लोग बातचीत के दौरान शब्द भूलने लगते हैं।


शोध के निष्कर्ष

शोध के प्रमुख एंड्री हैरटैंटो के अनुसार, स्मार्टफोन ने कुछ कार्यों को आसान बनाया है, लेकिन लोग अनजाने में बिना आवश्यकता के भी फोन चेक करने के आदी हो गए हैं। अध्ययन में आईफोन उपयोगकर्ताओं के मोबाइल उपयोग के तरीके की जांच की गई। एक सप्ताह तक ऐप के माध्यम से उनकी गतिविधियों की निगरानी की गई और पाया गया कि बार-बार फोन चेक करने वाले लोग कई कार्यों को अधूरा छोड़ देते हैं।


बच्चों में मायोपिया का खतरा

स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चों में मायोपिया का खतरा भी बढ़ता है। जर्नल ऑफ मेडिकल इंटरनेट रिसर्च में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 5 से 8 साल के बच्चों में 49.8% मायोपिया का शिकार हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से आंखों की रोशनी भी प्रभावित हो सकती है और एस्थेनोपिया जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।