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सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि की चाह में युवाओं की जान जोखिम में

सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि की चाह में युवा अक्सर अपनी जान को खतरे में डाल देते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के सतारा में एक खतरनाक स्टंट ने एक युवक को गंभीर चोटें दीं। मनोचिकित्सक और यातायात विशेषज्ञ इस प्रवृत्ति को 'सोशल मीडिया की लत' मानते हैं, जो अब गंभीर चिंता का विषय बन गई है। इस लेख में जानें कि कैसे युवा लाइक्स और शेयर की दौड़ में अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं और इसके पीछे के मनोवैज्ञानिक कारण क्या हैं। क्या यह एक विकार है? माता-पिता को क्या करना चाहिए? जानें इस लेख में।
 

खतरनाक स्टंट्स का बढ़ता चलन

प्रसिद्धि की चाह में युवा अक्सर अपनी जान को खतरे में डाल देते हैं। महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड के 20 वर्षीय साहिल अनिल जाधव ने तो मामूली चोटों के साथ बच निकलने में सफलता पाई, लेकिन ऐसे कई युवा हैं जो अपनी जान गंवा चुके हैं या गंभीर दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं।


मनोचिकित्सक और यातायात विशेषज्ञ इस नई समस्या को 'सोशल मीडिया की लत' के रूप में देख रहे हैं, जो अब इतनी गंभीर हो गई है कि इसे चिकित्सा समुदाय और सरकार की ओर से सख्त दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है। खासकर सार्वजनिक स्थानों, पर्यटन स्थलों, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर।


जोश और जोखिम

एक युवा लड़के ने कहा, "किक मिलता है," जब उससे पूछा गया कि उसे क्या प्रेरित करता है। वह अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए खतरनाक स्टंट करता है। जबकि उसके वीडियो हजारों व्यूज और लाइक्स प्राप्त करते हैं, लेकिन इन स्टंट्स के पीछे छिपा खतरा अक्सर अनदेखा रह जाता है।


क्या होगा अगर बाइक फिसल जाए? या कार नियंत्रण से बाहर हो जाए? यह सब एक गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता है।


लाइक्स और शेयर की दौड़

लाइक्स और शेयर की इस दौड़ में युवा न केवल अपनी जान को खतरे में डाल रहे हैं, बल्कि दूसरों की जान को भी। सड़क पर खतरनाक स्टंट करना अब आम बात हो गई है। जब उनसे पूछा गया कि वे ऐसा क्यों करते हैं, तो उनके उत्तर बताते हैं कि यह डिजिटल प्रसिद्धि की निरंतर खोज है।


डिजिटल ध्यान की खोज

डिजिटल ध्यान की यह खतरनाक खोज गंभीर चिंताओं को जन्म दे रही है। इन घटनाओं में एक स्पष्ट पैटर्न दिखता है, जो सोशल मीडिया की मान्यता के लिए अनियंत्रित स्टंट्स के खतरनाक परिणामों को दर्शाता है।


मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: क्या यह लत है?

डॉ. पवित्रा शंकर, एक मनोचिकित्सक, ने बताया कि यह प्रवृत्ति पूरी तरह से नई नहीं है। उन्होंने कहा कि माता-पिता अक्सर ऐसे वीडियो का विरोध करते हैं, लेकिन फिर भी एक बड़ा दर्शक वर्ग ऐसा कंटेंट देखता है।


उन्होंने कहा, "मान्यता इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है। यह अब सामाजिक मुद्रा बन गई है।"


क्या यह एक विकार है?

जब उनसे पूछा गया कि क्या इस व्यवहार को विकार माना जा सकता है, तो डॉ. पवित्रा ने कहा कि इसे विशेष रूप से विकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। लेकिन जब यह व्यवहार जीवन को प्रभावित करने लगे, तो यह एक समस्या बन जाती है।


माता-पिता की भूमिका

डॉ. पवित्रा ने कहा कि माता-पिता को सोशल मीडिया के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए संवाद स्थापित करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों के साथ इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए।


क्या कमजोर प्रवर्तन लापरवाह व्यवहार को बढ़ावा दे रहा है?

डॉ. रोहित बलुजा, सड़क यातायात शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष, ने बताया कि भारत में खतरनाक ड्राइविंग और स्टंट्स को नियंत्रित करने के लिए कानून मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रवर्तन कमजोर है।


उन्होंने कहा कि यदि कोई सार्वजनिक स्थान पर स्टंट करना चाहता है, तो उसे सरकार की अनुमति लेनी होगी।


भविष्य की घटनाएँ

हाल ही में महाराष्ट्र के सतारा से एक घटना ने फिर से इन खतरनाक स्टंट्स पर ध्यान आकर्षित किया है। एक वीडियो में एक कार को गहरी खाई में गिरते हुए दिखाया गया है, जब कुछ लड़के इंस्टाग्राम रील के लिए स्टंट कर रहे थे।


इस तरह की घटनाएँ न केवल युवा जीवन को खतरे में डाल रही हैं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही हैं।