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सोयाबीन के सेवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी: स्वास्थ्य पर प्रभाव

इस लेख में हम सोयाबीन के सेवन के स्वास्थ्य पर प्रभाव और इसके पीछे के ऐतिहासिक समझौतों के बारे में चर्चा करेंगे। जानें कि क्यों सोयाबीन का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है और इसके बेहतर विकल्प क्या हैं। क्या आपके दादी-नानी ने कभी सोयाबीन का सेवन किया था? इस विषय पर और जानने के लिए लेख पढ़ें।
 

सोयाबीन का इतिहास और भारत में इसकी खेती


लगभग 40-45 वर्ष पहले भारत में सोयाबीन का सेवन नहीं होता था। लेकिन इसके बाद इसकी खेती कैसे शुरू हुई, यह जानना जरूरी है। इसके पीछे एक महत्वपूर्ण समझौता है जो मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुआ।


1991 में, वैश्वीकरण के तहत कई समझौते हुए, जिनमें से एक था कि नीदरलैंड से एक करोड़ टन सूअर का गोबर भारत लाया जाएगा। मनमोहन सिंह ने कहा कि यह गोबर उच्च गुणवत्ता का है क्योंकि नीदरलैंड के सूअर सोयाबीन खाते हैं।


भारत में, जैसे हम गायों को पालते हैं, वैसे ही नीदरलैंड में सूअरों को पाला जाता है। सूअर जितना अधिक सोयाबीन खाएंगे, उतना ही मोटा होंगे और मांस का उत्पादन बढ़ेगा। यह पता चला कि नीदरलैंड में सोयाबीन भारत से ही भेजा जाता है, खासकर मध्य प्रदेश से।


सोयाबीन की खेती और स्वास्थ्य पर प्रभाव

वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि किसी खेत में 10 साल तक सोयाबीन उगाया जाए, तो 11वें साल वहां कुछ भी नहीं उग सकता। मनमोहन सिंह ने किसानों को सोयाबीन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया, यह कहकर कि उन्हें अधिक दाम दिए जाएंगे।


इस प्रकार, भारत से सोयाबीन नीदरलैंड भेजी जाने लगी ताकि सूअर उसे खाकर मोटे हों और अधिक मांस का उत्पादन कर सकें। इसके बाद, सूअरों द्वारा उत्पन्न गोबर भी भारत लाया जाएगा।


हालांकि, सोयाबीन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। इसे दाल या तेल के रूप में शरीर में पचाना मुश्किल होता है। राजीव जी ने बताया कि सोयाबीन को पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम हमारे शरीर में नहीं होते।


सोयाबीन में प्रोटीन होता है, लेकिन इसे पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम केवल सूअरों में होते हैं। इसलिए, मनुष्यों को सोयाबीन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, मूंगफली, उरद की दाल, और अन्य दालों का सेवन करना बेहतर है।


स्वास्थ्य के लिए बेहतर विकल्प

आपको सलाह दी जाती है कि सोयाबीन का तेल, दाल, या दूध न खाएं। इसके बजाय, मूंगफली का तेल, तिल का तेल, सूरजमुखी का तेल, या सरसों का तेल का उपयोग करें।


रिफाइंड तेल से बचें, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सोयाबीन का प्रोटीन शरीर में जमा हो सकता है, जिससे बाद में समस्याएं हो सकती हैं।


यदि आपके घर में दादी या नानी हैं, तो उनसे पूछें कि क्या उन्होंने कभी सोयाबीन का सेवन किया था। इससे आपको इस विषय पर और जानकारी मिलेगी।