सोनिया गांधी ने इजरायल के हमलों पर भारत की चुप्पी की आलोचना की
सोनिया गांधी की कड़ी प्रतिक्रिया
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को गाजा और ईरान में इजरायल की कार्रवाई पर भारत की चुप्पी की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह न केवल भारत की आवाज को कमजोर करता है, बल्कि इसके मूल्यों का भी अपमान है। एक लेख में, उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह इजरायल के साथ एक स्वतंत्र फिलिस्तीन की कल्पना करते हुए, शांतिपूर्ण दो-राष्ट्र समाधान के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को छोड़ रही है।
अमेरिका की नीतियों पर भी सवाल
गांधी ने अपने लेख में अमेरिका के निरंतर युद्धों के खिलाफ बोलते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, "गाजा में तबाही और ईरान के खिलाफ बढ़ते तनाव पर भारत की चुप्पी हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से विचलित होने का संकेत है।"
भारत को जिम्मेदारी से बोलने की आवश्यकता
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को स्पष्ट रूप से अपनी आवाज उठानी चाहिए और तनाव को कम करने के लिए सभी कूटनीतिक चैनलों का उपयोग करना चाहिए। गांधी ने कहा, "अभी भी बहुत देर नहीं हुई है।"
मानवीय संकट पर चिंता
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि इस मानवीय संकट के संदर्भ में, मोदी सरकार ने शांतिपूर्ण दो-राज्य समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लगभग त्याग दिया है। उन्होंने कहा कि 13 जून, 2025 को इजरायल ने ईरान पर एक गैरकानूनी हमला किया, जो एक गंभीर खतरा है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति
गांधी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन हमलों की निंदा करती है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर परिणाम ला सकते हैं। उन्होंने कहा, "इजरायल की हाल की कार्रवाइयों ने नागरिकों की जान और क्षेत्रीय स्थिरता को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है।"