×

सोनिया गांधी को मिली राहत, अदालत ने खारिज की याचिका

दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी को राहत देते हुए एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से मतदाता सूची में नाम शामिल कराया। याचिका में कहा गया था कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही मतदाता सूची में था। अदालत में पेश किए गए तर्कों में यह भी कहा गया कि उनके नाम का पूर्व प्रवेश अनियमित था। याचिकाकर्ता ने प्राथमिकी दर्ज करने और जांच की मांग की।
 

सोनिया गांधी को अदालत से मिली राहत

दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी को गुरुवार को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की। अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से तीन साल पहले मतदाता सूची में शामिल किया गया था। यह याचिका विकास त्रिपाठी नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से मतदाता सूची में नाम जोड़ने का आरोप लगाया गया था।


याचिका में लगाए गए आरोप

याचिका में कहा गया है कि सोनिया गांधी, जो मूल रूप से इतालवी नागरिक हैं, ने 30 अप्रैल, 1983 को नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त की। हालांकि, उनका नाम 1981-82 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में पहले से ही शामिल था, जिससे चुनाव आयोग को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर सवाल उठता है। अधिवक्ता नारंग ने बताया कि सोनिया गांधी का नाम 1982 में उनके दिवंगत देवर संजय गांधी के साथ मतदाता सूची से हटा दिया गया था।


अदालत में पेश किए गए तर्क

नारंग ने अदालत में कहा कि यह विलोपन दर्शाता है कि मतदाता सूची में उनका पूर्व प्रवेश अनियमित था, क्योंकि केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में नामांकित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकता मिलने से पहले मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए जाली दस्तावेजों का उपयोग किया जा सकता है। नारंग ने अदालत को बताया, "एक सार्वजनिक प्राधिकरण को गुमराह किया गया है, और धोखाधड़ी का संकेत मिलता है।"


याचिकाकर्ता की मांग

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे याचिकाकर्ता के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इसलिए, याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने और कथित अपराधों की जांच के निर्देश देने की मांग की गई है।