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सोनिया गांधी के खिलाफ शिकायत पर पुनरीक्षण याचिका दायर

एक मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा खारिज की गई शिकायत, जिसमें सोनिया गांधी पर 1980-81 की मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम शामिल करने का आरोप था, अब पुनरीक्षण याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है। इस मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। अदालत ने पहले ही इस शिकायत को कानूनी रूप से असमर्थनीय बताया था। जानें इस मामले में अदालत के निर्णय और अधिकार क्षेत्र के मुद्दे के बारे में।
 

सोनिया गांधी के खिलाफ शिकायत का मामला फिर से खुला

एक मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा सितंबर में खारिज की गई शिकायत, जिसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर 1980-81 की मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम शामिल करने का आरोप लगाया गया था, अब शिकायतकर्ता ने चुनौती दी है। शिकायतकर्ता ने सत्र न्यायाधीश के समक्ष एक पुनरीक्षण याचिका दायर की है, जिस पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी। यह मामला फिर से खुल जाएगा, जिसे पहले ही खारिज किया जा चुका था।


अदालत का निर्णय

राउज़ एवेन्यू अदालत ने सितंबर में अपने आदेश में कहा था कि सोनिया गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक शिकायत कानूनी रूप से असमर्थनीय और तथ्यहीन है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने अदालत को ऐसे अधिकार क्षेत्र में लाने का प्रयास किया, जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।


याचिका की आधारशिला

न्यायाधीश ने यह पाया कि याचिका पूरी तरह से 1980 की मतदाता सूचियों की अप्रमाणित प्रतियों पर आधारित थी। इसे आपराधिकता के नाम पर एक दीवानी विवाद के रूप में पेश करने का प्रयास बताया गया। आदेश में कहा गया है कि केवल निराधार दावे और धोखाधड़ी के तत्वों के बिना कोई कानूनी रूप से टिकाऊ आरोप नहीं हो सकते।


अधिकार क्षेत्र का मुद्दा

एसीजेएम चौरसिया ने नागरिकता के प्रश्न पर जोर देते हुए कहा कि यह पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 11 और नागरिकता अधिनियम, 1955 में उल्लेखित है। वहीं, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 के तहत मतदाता सूची पर निर्णय भारत के चुनाव आयोग के पास होता है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में आपराधिक अदालत द्वारा निर्णय लेना संवैधानिक रूप से अनुचित होगा।