सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स: निवेशकों को 325% रिटर्न, टैक्स नियम जानें
SGB पर टैक्स के नियम
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) सीरीज की मैच्योरिटी पूरी की है, जिससे निवेशकों को शानदार रिटर्न प्राप्त हुआ है। कुछ बॉन्ड्स ने तो 325% तक का लाभ दिया है। लेकिन यह जानना भी आवश्यक है कि इस लाभ पर टैक्स कैसे लागू होता है। कई निवेशक इस पहलू को नजरअंदाज कर देते हैं और बाद में भ्रमित हो जाते हैं।
RBI के बॉन्ड्स से मिला शानदार फायदा
RBI हर साल विभिन्न सीरीज में गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। उदाहरण के लिए, SGB 2017-18 सीरीज़ IV को 23 अक्टूबर 2017 को ₹2,987 प्रति ग्राम की दर से जारी किया गया था। जब यह हाल ही में 8 साल बाद मैच्योर हुआ, तो निवेशकों को ₹12,704 प्रति ग्राम का मोचन मूल्य मिला, जो लगभग 325% रिटर्न है।
इसी प्रकार, SGB 2017-18 सीरीज V के निवेशकों को ₹2,971 की तुलना में ₹11,992 प्रति ग्राम मिले, जिससे 303% लाभ हुआ। SGB 2018-19 सीरीज II और SGB 2019-20 सीरीज VI ने क्रमशः 304% और 217% तक रिटर्न दिया। यहां तक कि 2020 की सीरीज ने केवल 5 साल में लगभग 166% का मुनाफा दिया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में सोने की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्षों में सोने के भाव लगभग 150% बढ़ चुके हैं।
टैक्सेशन के नियम: कहां होती है गलती
यदि आप अपने SGB को पूरा 8 साल तक रखते हैं और सीधे RBI के माध्यम से मैच्योरिटी पर रिडीम करते हैं, तो आपको पूंजीगत लाभ (Capital Gains) पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसका मतलब है कि सोने की कीमत में वृद्धि से जो लाभ होता है, वह पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। यही नियम 5 साल बाद की अर्ली रिडेम्पशन पर भी लागू होता है, बशर्ते रिडेम्पशन की प्रक्रिया RBI के माध्यम से हो।
स्टॉक एक्सचेंज में बेचने पर लगेगा टैक्स
हालांकि, यदि आपने अपने बॉन्ड को स्टॉक एक्सचेंज में बेचा, तो टैक्स लागू होगा। यदि बिक्री 12 महीने के भीतर की गई है, तो लाभ अल्पकालिक माना जाएगा और उस पर आपके आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा। यदि बिक्री 12 महीने बाद होती है, तो लाभ दीर्घकालिक (Long Term) माना जाएगा और उस पर 12.5% टैक्स (बिना इंडेक्सेशन) देना होगा। यह प्रावधान बजट 2024 के बाद लागू हुआ है।
इसके अतिरिक्त, जो 2.5% वार्षिक ब्याज आपको हर साल मिलता है, वह हमेशा अन्य स्रोतों से आय के रूप में कर योग्य होता है। उस पर कोई TDS नहीं काटा जाता, लेकिन आपको इसे अपनी आयकर रिटर्न में जोड़ना और टैक्स देना आवश्यक है।
कैसे काम करते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
SGB वास्तव में सरकार द्वारा जारी एक डिजिटल सोने का विकल्प है। इसमें निवेशक सोने के ग्राम के रूप में निवेश करते हैं, लेकिन असली सोना रखने की आवश्यकता नहीं होती। इन बॉन्ड्स पर सरकार 2.5% वार्षिक ब्याज देती है, जो हर छह महीने में आपके खाते में जमा होता है। प्रत्येक बॉन्ड की अवधि 8 साल होती है। हालांकि, निवेशक चाहें तो 5 साल बाद ब्याज भुगतान की तारीख पर इसे पहले भुना सकते हैं। रिडेम्पशन मूल्य उस समय के सोने के औसत बाजार मूल्य पर निर्धारित किया जाता है.