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सैनिटाइज़र के लगातार उपयोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव

कोरोना वायरस महामारी के दौरान सैनिटाइज़र का उपयोग बढ़ गया है, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार सैनिटाइज़र का उपयोग त्वचा, फर्टिलिटी, और इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जानें कि कैसे मेथनॉल और ट्राइक्लोसन जैसे तत्व स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
 

कोरोना वायरस महामारी का प्रभाव

कोरोना वायरस महामारी ने पूरे देश को गंभीर संकट में डाल दिया है। मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार ने इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन यह वायरस सभी के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस संकट के दौरान, लोगों को बार-बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही है। इस जानलेवा संक्रमण से बचने के लिए लोग विभिन्न सावधानियों का पालन कर रहे हैं।


सैनिटाइज़र का उपयोग और सावधानियाँ

कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनना, सैनिटाइज़र का उपयोग करना और सामाजिक दूरी बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि हम इन सभी उपायों का पालन करते हैं, तो कोरोना से बचाव संभव है। जो लोग साबुन से हाथ नहीं धो पाते, उन्हें हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि सैनिटाइज़र के कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं?


सैनिटाइज़र के दुष्प्रभाव

जी हां, कोरोना के खतरे को कम करने वाले सैनिटाइज़र के कुछ साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं। लगातार सैनिटाइज़र का उपयोग करने से त्वचा और शरीर के अन्य अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस लेख में हम सैनिटाइज़र के अधिक उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी नुकसान के बारे में चर्चा करेंगे।


फर्टिलिटी पर प्रभाव

विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ सैनिटाइज़र में अल्कोहल होता है, जबकि कुछ नॉन-अल्कोहलिक होते हैं। अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र में एथेनॉल होता है, जो एंटीसेप्टिक का काम करता है। वहीं, नॉन-अल्कोहलिक सैनिटाइज़र में ट्राइक्लोसन या ट्राइक्लोकार्बन जैसे एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है। एक अध्ययन में यह पाया गया है कि ट्राइक्लोसन फर्टिलिटी के लिए हानिकारक हो सकता है।


हॉर्मोनल असंतुलन

अधिक मात्रा में अल्कोहलिक सैनिटाइज़र का उपयोग करने से हॉर्मोनल बैलेंस बिगड़ सकता है। इसमें ट्राइक्लोसन की उपस्थिति इन्फर्टिलिटी और हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती है, जिससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।


मेथनॉल का खतरा

कोरोना महामारी के दौरान बाजार में कई प्रकार के सैनिटाइज़र उपलब्ध हैं। संकट के इस समय में, कुछ लोग सैनिटाइज़र में मेथनॉल मिलाकर बेच रहे हैं। ऐसे सैनिटाइज़र का उपयोग करने से नींद न आना, चक्कर आना, उल्टी, दिल की धड़कन में अनियमितता, और अंधापन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। मेथनॉल का प्रभाव सीधे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है, जिससे जान का खतरा भी हो सकता है।


इम्यून सिस्टम पर प्रभाव

नॉन-अल्कोहलिक सैनिटाइज़र का अधिक उपयोग इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिससे गंभीर बीमारियों से बचाव में कमी आ सकती है। नॉन-अल्कोहलिक सैनिटाइज़र में ट्राइक्लोसन का उपयोग मानव इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।


त्वचा की समस्याएँ

सैनिटाइज़र के अत्यधिक उपयोग से त्वचा में जलन, खुजली और लाल चकत्ते जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, त्वचा में रूखापन भी आ सकता है।