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सेवानिवृत्त अधिकारियों का समूह राहुल गांधी पर आरोपों को लेकर चिंतित

लगभग 300 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, पूर्व नौकरशाहों और सैन्य अधिकारियों के एक समूह ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने के लिए 'वोट चोरी' के अभियान का सहारा ले रहे हैं। इस पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने भारत के लोकतंत्र पर हो रहे हमलों की चिंता जताई है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
 

विपक्षी नेताओं पर गंभीर आरोप

लगभग 300 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, पूर्व नौकरशाहों, सैन्य अधिकारियों और राजनयिकों के एक समूह ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस समूह ने कहा है कि विपक्षी दल चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने के लिए 'वोट चोरी' के अभियान का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने एक खुला पत्र जारी कर यह भी कहा कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को छिपाने का प्रयास हैं।


इस पत्र पर 272 हस्ताक्षरकर्ताओं में 16 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 123 पूर्व नौकरशाह (जिनमें 14 राजदूत भी शामिल हैं) और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद, पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी और पूर्व आईएफएस लक्ष्मी पुरी जैसे प्रमुख लोग शामिल हैं।


राहुल गांधी की आलोचना और चुनाव आयोग की स्थिति

यह घटनाक्रम राहुल गांधी द्वारा एसआईआर प्रक्रिया और चुनाव आयोग की आलोचना के बीच हुआ है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग के आचरण को निराशाजनक बताते हुए मांग की है कि वह यह साबित करे कि वह भाजपा के प्रभाव में नहीं है। पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि भारत के लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं, जो कि संस्थाओं के खिलाफ ज़हरीली बयानबाज़ी के कारण हो रहा है।


उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक नेता नीतिगत विकल्प प्रस्तुत करने के बजाय भड़काऊ आरोपों का सहारा ले रहे हैं।


चुनाव आयोग की ईमानदारी पर सवाल

हस्ताक्षरकर्ताओं ने भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाने के बाद अब चुनाव आयोग की ईमानदारी पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमले किए हैं और उनके पास इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि चुनाव आयोग वोट चोरी में शामिल है।