सेबी का स्पष्टीकरण: अडानी-अंबानी के पारिवारिक दफ्तरों को खर्च का ब्योरा देने की आवश्यकता नहीं
भारतीय बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में उन रिपोर्टों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि अडानी और अंबानी जैसे प्रमुख व्यापारिक परिवारों को अपने खर्च का ब्योरा प्रस्तुत करना होगा। सेबी ने स्पष्ट किया है कि वह पारिवारिक कार्यालयों के लिए किसी भी नियामक ढांचे पर विचार नहीं कर रहा है। जानें इस मामले में और क्या कहा गया है और इससे निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
Oct 4, 2025, 10:10 IST
सेबी का बयान
सेबी का आया बयान
भारतीय बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में उन रिपोर्टों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि अंबानी और अडानी जैसे प्रमुख व्यापारिक परिवारों को अपने खर्च का ब्योरा प्रस्तुत करना होगा। सेबी ने स्पष्ट किया है कि वह पारिवारिक कार्यालयों के लिए किसी भी नियामक ढांचे पर विचार नहीं कर रहा है। यह स्पष्टीकरण तब आया जब मीडिया में यह खबरें आईं कि सेबी पारिवारिक कार्यालयों को अपने दायरे में लाने की योजना बना रहा है। हालांकि, सेबी ने कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत का मार्केट रेगुलेटर सेबी अब फैमिली ऑफिस को अपने रडार पर लाने की सोच रहा है, क्योंकि देश के अरबपति स्टॉक एक्सचेंज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं। कुछ सूत्रों ने बताया कि सेबी इस बारे में विचार कर रहा है कि फैमिली ऑफिस को अपनी संपत्ति, निवेश और रिटर्न की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा, उनके लिए एक अलग श्रेणी बनाकर निवेश को नियंत्रित करने की चर्चा भी हो रही है।
रिपोर्ट में किए गए दावे
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस वर्ष की शुरुआत में सेबी ने कुछ प्रमुख फैमिली ऑफिस के साथ बैठक की और अन्य से लिखित प्रस्ताव मांगे, ताकि यह समझा जा सके कि ये बड़े परिवार सार्वजनिक रूप से कारोबार की जाने वाली प्रतिभूतियों में कैसे निवेश करते हैं और इससे क्या जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। सेबी ने एक बयान में कहा कि हम इस मामले में अभी कोई जांच या कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। भारत में फैमिली ऑफिस के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं, इसलिए सूत्रों ने बताया कि नए नियम कब और कैसे लागू होंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है। सेबी का यह कदम दर्शाता है कि भारत के सुपर-रिच परिवार अब इतने बड़े निवेशक बन गए हैं कि उनके निवेश बाजार में हलचल पैदा कर सकते हैं।
भारतीय उद्योग में कई फैमिली ऑफिस स्टार्टअप्स, प्राइवेट इक्विटी और आईपीओ में बड़े निवेशक बनकर उभरे हैं। सूत्रों के अनुसार, सेबी ने कुछ बड़े फैमिली ऑफिस के साथ बातचीत में यह भी पूछा कि क्या उन्हें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) की तरह भाग लेने की अनुमति दी जाए। इससे उन्हें आईपीओ में प्राथमिकता मिलेगी और वे म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों या विदेशी बड़े फंड्स की तरह बाजार में समान अवसर प्राप्त कर सकेंगे। पहले सेबी ने अनियंत्रित फैमिली निवेशकों को ऐसी सुविधाएं देने से मना किया था।