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सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी का भावुक स्कूल दौरा और ऑपरेशन सिंदूर का महत्व

भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 53 साल बाद अपने पुराने स्कूल का दौरा किया, जहां उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और जीवन के महत्वपूर्ण सबक दिए। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को एक धर्म युद्ध के रूप में वर्णित किया, जिसमें नैतिकता की परीक्षा भी शामिल थी। जानें उनके विचार और अनुभव इस भावुक यात्रा के बारे में।
 

सतना में लौटे जनरल द्विवेदी: एक भावनात्मक यात्रा


सतना। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक धर्म युद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय सेना ने कभी भी नमाज के समय हमला नहीं किया, यह उनके दृष्टिकोण का परिचायक है जो उन्हें अन्य सेनाओं से अलग बनाता है।


53 साल बाद अपने स्कूल में जनरल द्विवेदी

जहां से शुरू हुई थी उनकी यात्रा


जब जनरल द्विवेदी 53 साल बाद अपने पुराने स्कूल, सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल, सतना पहुंचे, तो वहां का माहौल भावनाओं से भरा हुआ था। वही गलियारे, कक्षाएं और मैदान, जहां उन्होंने अपने छात्र जीवन की शुरुआत की थी। बच्चों के साथ बैठकर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और जीवन का महत्वपूर्ण सबक दिया, जिसे उन्होंने Three-A मंत्र: Attitude, Adaptability, Ability के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, 'मैंने इसी स्कूल में पढ़ाई की है। यहीं से सीखा कि अनुशासन और जज्बा हो तो कोई भी मंजिल कठिन नहीं होती।'


ऑपरेशन सिंदूर: नैतिकता की परीक्षा

युद्ध नहीं, बल्कि एक नैतिकता की परीक्षा


जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर को केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक 'धर्म युद्ध' के रूप में वर्णित किया। उनके अनुसार, यह अभियान 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू हुआ था। भारतीय सेना ने 6 और 7 मई की रात को पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया। चार दिनों तक चली इस कार्रवाई में सेना ने न केवल दुश्मनों को पराजित किया, बल्कि अपने नैतिक मूल्यों को भी बनाए रखा।




उन्होंने यह भी कहा कि सेना ने कभी भी नमाज या किसी धार्मिक प्रार्थना के दौरान हमला नहीं किया। यह बयान उस समय आया जब देश में सैन्य कार्रवाई को लेकर विभिन्न चर्चाएं चल रही थीं।