सूअर का मांस: इस्लाम में हराम होने के पीछे के कारण
इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों इस्लाम में सूअर का मांस हराम माना जाता है। कुरान की आयतों और पैगंबर मोहम्मद की हदीस के आधार पर, सूअर का मांस नापाक माना जाता है। इसके अलावा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूअर के मांस के सेवन के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। अन्य धर्मों में भी सूअर का मांस निषिद्ध है। जानें इसके पीछे के कारण और धार्मिक आस्था का महत्व।
Aug 21, 2025, 11:40 IST
सूअर का मांस और इस्लाम
इस्लाम में सूअर का मांस खाना हराम माना जाता है, जो कि कुरान और पैगंबर मोहम्मद की हदीस पर आधारित है। कुरान की कई आयतें, जैसे 2:173, 5:3, 16:115 और 6:145, सूअर के मांस को निषिद्ध बताती हैं। इन आयतों में कहा गया है कि सूअर का मांस नापाक है और इसे मुसलमानों के लिए खाना मना है।
धार्मिक कारण
- इस्लाम में स्वच्छता और पवित्रता को बहुत महत्व दिया जाता है। सूअर को एक ऐसा जानवर माना जाता है जो गंदगी और मल-मूत्र खाता है, इसलिए इसे अस्वच्छ माना जाता है।
- कुरान में यह भी उल्लेख है कि मरे हुए जानवर, रक्त, सूअर का मांस और वे जानवर जिन पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो, हराम हैं।
- मुसलमान इसे अपनी धार्मिक आस्था के साथ पूरी श्रद्धा से मानते हैं और इसका पालन करते हैं।
वैज्ञानिक कारण
- सूअर के मांस में 'ट्राइकोनेला स्पाइरलिस' नामक परजीवी पाया जाता है, जो 'ट्राइकिनोसिस' नामक गंभीर बीमारी का कारण बनता है।
- सूअर का मांस अन्य जानवरों की तुलना में अधिक वसा और विषाक्त पदार्थों से भरा होता है, जो मानव पाचन तंत्र और हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- इसमें कई हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
अन्य धर्मों में भी निषिद्ध
- यहूदी धर्म के पवित्र ग्रंथ तोराह में भी सूअर को अशुद्ध माना गया है और इसे खाने से मना किया गया है।
- कई हिंदू समुदायों में भी सूअर का मांस नहीं खाया जाता।
निष्कर्ष
इस प्रकार, धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक कारण दोनों मिलकर मुसलमानों के लिए सूअर के मांस को हराम मानने का आधार बनाते हैं। यह नियम उनकी पवित्रता और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।