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सुरेन्द्र कोली की सुधारात्मक याचिका स्वीकार, निठारी हत्याकांड में नया मोड़

उच्चतम न्यायालय ने निठारी हत्याकांड में सुरेन्द्र कोली की सुधारात्मक याचिका को स्वीकार कर लिया है। यह मामला 2006 में शुरू हुआ था जब नोएडा में बच्चों के कंकाल मिले थे। कोली को पहले ही कई मामलों में बरी किया जा चुका है। जानें इस मामले की जटिलताओं और अदालत के हालिया निर्णय के बारे में।
 

उच्चतम न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

उच्चतम न्यायालय ने निठारी हत्याकांड से जुड़े एक मामले में सुरेन्द्र कोली द्वारा दायर की गई सुधारात्मक याचिका को मंगलवार को स्वीकार कर लिया। यह निर्णय भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने सुनाया, जिन्होंने इस मामले की खुली अदालत में सुनवाई की। उल्लेखनीय है कि कोली को निठारी हत्याकांड के अन्य मामलों में पहले ही बरी किया जा चुका है।


निठारी हत्याकांड का इतिहास

निठारी हत्याकांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को हुआ, जब नोएडा के निठारी क्षेत्र में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिले। कोली को 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था, और फरवरी 2011 में उच्चतम न्यायालय ने उसकी सजा को बरकरार रखा। उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गई थी।


इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय

जनवरी 2015 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोली की दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण उसकी मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया। इसके बाद, अक्टूबर 2023 में, उच्च न्यायालय ने कोली और सह-अभियुक्त पंढेर को निठारी से जुड़े कई अन्य मामलों में बरी कर दिया और 2017 में निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को पलट दिया।


अदालत के फैसले और अपील

अदालत ने कोली को 12 मामलों और पंढेर को दो मामलों में बरी किया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और पीड़ित परिवारों ने इन बरी किए गए फैसलों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया।