सुबह मुर्गे की बांग: जानिए इसके पीछे का रहस्य
सुबह की बांग का महत्व
सुबह-सुबह मुर्गे की बांग सुनना एक आम बात है, और कई लोग इसी आवाज से जागते हैं। खासकर पुराने समय में यह बहुत सामान्य था। क्या आपने कभी सोचा है कि मुर्गा सूर्योदय से पहले ही क्यों बांग देता है? आज हम इस दिलचस्प सवाल का उत्तर देने जा रहे हैं।
मुर्गे की बांग का तरीका
मुर्गे की बांग बहुत जोरदार होती है, और जब वह बांग देता है, तो ऐसा लगता है जैसे पूरी प्रकृति भगवान सूर्य का स्वागत करने के लिए तैयार हो रही है। मुर्गा पहले बाहर निकलता है, अपने चारों ओर देखता है, और फिर बांग देना शुरू करता है। यह ध्यान देने योग्य है कि केवल मुर्गा ही बांग देता है, मुर्गी नहीं।
अन्य मुर्गों का सामंजस्य
जब एक मुर्गा बांग देता है, तो अन्य मुर्गे भी बाहर आकर बांग देने लगते हैं। इस दौरान, सभी मुर्गों के बीच एक अनुशासन और तालमेल देखने को मिलता है। एक मुर्गा जब बांग देना बंद करता है, तभी दूसरा मुर्गा बांग देता है, जिससे शोर नहीं होता।
बांग की तीव्रता
मुर्गे की बांग इसलिए भी ध्यान आकर्षित करती है क्योंकि यह सूर्योदय से पहले की शांत प्रकृति में होती है। इसकी तीव्रता 143 डेसीबल होती है, जबकि इंसान 130 डेसीबल से अधिक की आवाज सुनने पर बहरा हो सकता है। हालांकि, मुर्गे की बांग से इंसान बहरा नहीं होता क्योंकि वे एक दूरी से बांग देते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि मुर्गा इंसानों को जगाने के लिए बांग देता है, लेकिन असल में वह अपने परिवार के अन्य मुर्गों और मुर्गियों को जगाने के लिए ऐसा करता है।
सूर्योदय का संकेत
अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल पर आते हैं: मुर्गा कैसे जानता है कि सूर्योदय होने वाला है? मुर्गे के अंदर एक सिरकेडियन रिंग होती है, जो उसे यह एहसास कराती है कि सूर्योदय नजदीक है। दिलचस्प बात यह है कि जैसे-जैसे मुर्गे की उम्र बढ़ती है, यह सेंसर बेहतर काम करता है। इसलिए, सबसे पहले बांग देने वाला मुर्गा अक्सर सबसे उम्रदराज होता है, जो सूर्योदय का संकेत सबसे पहले पहचानता है।
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