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सुप्रीम कोर्ट में सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री पर सुनवाई की, जिसमें मुख्य न्यायाधीश ने सभी पक्षों के अधिकारों को स्पष्ट करने की आवश्यकता पर जोर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने संपत्तियों को एक साथ बेचने का सुझाव दिया, जबकि सेबी ने सहारा को प्रिंसिपल अमाउंट जमा करने का निर्देश दिया। सुनवाई में अडानी प्रॉपर्टीज ने सभी संपत्तियाँ खरीदने का प्रस्ताव रखा। जानें इस मामले में आगे क्या होगा और अदालत ने क्या निर्णय लिया।
 

सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सहारा इंडिया ग्रुप से संबंधित लगभग 88 संपत्तियों की बिक्री पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस मामले पर कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं। सीजेआई ने कहा कि संपत्तियों के संबंध में निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों के अधिकारों को स्पष्ट करना आवश्यक है।

सहारा इंडिया ग्रुप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि संपत्तियों की बिक्री के लिए एक योजना प्रस्तुत की जा रही है। उन्होंने बताया कि इन 88 संपत्तियों को एक साथ बेचना अधिक लाभकारी होगा, क्योंकि टुकड़ों में बिक्री के लिए खरीदार नहीं मिलेंगे। उन्होंने वर्सोवा के मामले का उदाहरण भी दिया।

सिब्बल ने वर्सोवा का उदाहरण दिया

सिब्बल की इस दलील पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक अच्छा सुझाव है, लेकिन केंद्र को इस पर विचार करना होगा और इसे अदालत में प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि सहकारी समितियों के सचिवों को भी पक्षकार बनाया जाए।

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को बताया कि इनमें से कुछ संपत्तियाँ ऐसी हैं जो बेची नहीं जा सकतीं, जैसे कि दो वेटलैंड। इस पर सीजेआई ने कहा कि यदि वे वेटलैंड खरीदते हैं, तो भी वहां निर्माण संभव नहीं होगा।

सेबी ने कहा- सहारा को प्रिंसिपल अमाउंट जमा करना होगा

सेबी की ओर से पेश वकील ने कहा कि सहारा संपत्तियाँ बेच सकता है, लेकिन बाजार मूल्य के 90 प्रतिशत से कम में नहीं। उन्होंने कहा कि सहारा को प्रिंसिपल अमाउंट जमा करना होगा, और वर्तमान में वे लगभग 9000 करोड़ रुपये के घाटे में हैं।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हाल ही में एक मामला सामने आया था जिसमें 500 करोड़ रुपये वितरित करने का निर्देश दिया गया था। सिब्बल ने कहा कि यह सेबी-सहारा फंड से किया जा रहा है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि सहारा को पहले कर्मचारियों के दावों और बकाया राशि की स्थिति स्पष्ट करनी होगी।

सीजेआई ने सुझाव पर विचार करने को कहा

गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उनके आवेदन में 88 संपत्तियाँ शामिल हैं, और कई लोगों की इससे संबंधित शिकायतें हैं। सीजेआई ने कहा कि बेहतर होगा कि केंद्र और न्यायमित्र इस सुझाव पर विचार करें। वकील ने कहा कि सहारा को पहले 9000 करोड़ रुपये जमा करने होंगे, फिर ब्याज का सवाल उठेगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि 88 संपत्तियों में सभी विवादित नहीं हैं। यदि चाहें, तो बेदाग संपत्तियों को अलग किया जा सकता है और उन्हें बेचा जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि डिबेंचर धारक नहीं मिलते हैं, तो पैसा सरकार को दे दिया जाए।

अडानी के वकील ने सभी संपत्तियाँ खरीदने का प्रस्ताव रखा

सुप्रीम कोर्ट में अडानी प्रॉपर्टीज के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने सभी संपत्तियों को खरीदने का प्रस्ताव रखा है। अन्यथा, मुकदमेबाजी का कोई अंत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसे किसी समिति को भेजा जा सकता है, जो इसकी जांच कर सकती है।

सेबी के वकील ने कहा कि हमें हर IA पर एक सूचीबद्ध तरीके से विवरण तैयार करना होगा। एक बार सहारा मूल राशि का भुगतान कर दे, तब स्थिति स्पष्ट होगी। सीजेआई ने कहा कि क्या आप एक ही बात को बार-बार कहेंगे? यदि संपत्तियाँ नहीं बेची जाएंगी, तो पैसा कैसे जमा होगा?