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सुप्रीम कोर्ट में तलाक के मामले में मुख्य न्यायाधीश की तीखी टिप्पणी

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने एक तलाक मामले में महिला द्वारा की गई गुजारा भत्ता की मांग पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने महिला को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी, जिससे तलाक की कार्यवाही में वित्तीय समझौतों की नैतिकता पर बहस छिड़ गई है। इस मामले ने समाज में आत्मनिर्भरता और गरिमा के मुद्दों को फिर से उजागर किया है।
 

मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी पर चर्चा

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने एक हाई-प्रोफाइल तलाक मामले में सुनवाई के दौरान एक महिला द्वारा अत्यधिक गुजारा भत्ता की मांग पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। महिला, जिसकी शादी को केवल 18 महीने हुए हैं, ने तलाक के बदले 18 करोड़ रुपये, मुंबई में एक आवास और एक बीएमडब्ल्यू कार की मांग की। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने महिला से कहा कि वह शिक्षित हैं और उन्हें इस तरह की मांग नहीं करनी चाहिए, बल्कि खुद कमाने और स्वतंत्र रहने का प्रयास करना चाहिए।


यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत अल्पकालिक विवाह के लिए असामान्य रूप से उच्च और भौतिकवादी समझौते की मांग पर विचार कर रही थी। महिला के वकील ने इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि यह एक समझौता प्रस्ताव का हिस्सा है और इसे भीख के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलों के बावजूद, पीठ ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखा है, जिससे भविष्य में अंतिम निर्णय की संभावना बनी हुई है। इस मामले ने तलाक की कार्यवाही में, विशेषकर धनी पक्षों से जुड़े मामलों में, वित्तीय समझौतों की नैतिकता और अपेक्षाओं पर सार्वजनिक बहस को जन्म दिया है। महिला की मांगों ने प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं, जबकि मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी ने आत्मनिर्भरता और गरिमा के मुद्दों पर बातचीत को फिर से शुरू किया है।