सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के आरोपों पर सुनवाई जारी
चुनाव आयोग के गंभीर आरोप
सुप्रीम कोर्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (एससीआर) मामले की सुनवाई के दौरान, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने कुछ राजनीतिक दलों और एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आयोग ने कहा कि ये दल चुनावी प्रक्रिया में सहयोग करने के बजाय जनता की धारणा को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। आयोग ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल एक विशेष नैरेटिव स्थापित करना चाहते हैं।
चुनाव आयोग के वकील ने याचिकाकर्ताओं के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एक व्यक्ति को ड्राफ्ट सूची से हटा दिया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि दिए गए पतों पर ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भी कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ऐसा कोई व्यक्ति वास्तव में मौजूद है। अधिवक्ता द्विवेदी ने यह भी तर्क किया कि याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन अदालत में हलफनामा दाखिल करने से पहले अपने दावों की पुष्टि नहीं कर रहे हैं।
बिहार में मतदाता संख्या में कमी
कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने बताया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान मतदाताओं की संख्या में 47 लाख की कमी आई है। सितंबर 2025 तक बिहार की वयस्क जनसंख्या का आधिकारिक अनुमान 8.22 करोड़ है, जबकि अंतिम मतदाता सूची में केवल 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं। इस प्रकार, लगभग 80 लाख लोग, जो बिहार की कुल वयस्क जनसंख्या का लगभग 10% हैं, अपने मताधिकार से वंचित रह गए हैं। यह अनुपात भारत और बिहार के लिए एक रिकॉर्ड है, क्योंकि किसी भी राज्य में इससे पहले 10% से अधिक मतदाता मतदाता सूची से बाहर नहीं किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई जारी
सुप्रीम कोर्ट चुनावी राज्य बिहार में एसआईआर कराने के चुनाव आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा। 7 अक्टूबर, 2025 को कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन 3.66 लाख मतदाताओं का विवरण मांगा, जो मसौदा मतदाता सूची का हिस्सा थे, लेकिन बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची से बाहर हो गए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।