सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर रोक लगाने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगाने से मना कर दिया है। इस पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर रही है और तृणमूल कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी विचार में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भाजपा की योजना को सफल नहीं होने देंगे, जो चुनाव आयोग का उपयोग करके मतदाता सूची में हेरफेर करना चाहती है।
टीएमसी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कुणाल घोष ने कहा कि अदालत में सकारात्मक माहौल है और भाजपा की साजिशें सफल नहीं होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के कदमों में भाजपा के इरादे स्पष्ट हैं। वहीं, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इसे लोकतंत्र के लिए एक राहत की बात बताया। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को सत्यापन प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।
निर्वाचन आयोग की भूमिका
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति दी और इसे 'संवैधानिक दायित्व' बताया। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को दस्तावेज के रूप में माना जा सकता है। पीठ ने कहा, 'हमारा प्रथम दृष्टया मानना है कि मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।'