सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर रोक लगाने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई 10 जुलाई को निर्धारित की है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग के निर्णय के खिलाफ त्वरित सुनवाई की मांग की है। पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने भी इस प्रक्रिया के समय को चुनौती दी है, यह तर्क करते हुए कि इससे चुनावी निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में चुनाव आयोग के निर्णय की वैधता की जांच करेगा।
Jul 7, 2025, 12:21 IST
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संबंध में भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के निर्णय पर अंतरिम रोक लगाने से मना कर दिया है। हालांकि, अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई पर सहमति जताई है और अगली सुनवाई 10 जुलाई को निर्धारित की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग के इस निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर त्वरित सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि मामले को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए ताकि संभावित रोक के बारे में तर्क प्रस्तुत किए जा सकें।
पूर्व विधायक की याचिका
पूर्व विधायक ने मतदाता सूची संशोधन के समय को चुनौती दी
बिहार के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने भी चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आयोग ने पूरे देश में विशेष पुनरीक्षण का आदेश दिया है, जिसे बिहार में तुरंत लागू करने की आवश्यकता है। आलम ने 18वें बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर की है। याचिका में यह तर्क किया गया है कि इस तरह के अचानक और व्यापक संशोधन से बिहार में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है। आलम का कहना है कि इस कदम से मतदाता सूची में अनावश्यक हेरफेर हो सकता है और मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में चुनाव आयोग के निर्णय की वैधता की जांच करेगा।