सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की याचिका पर केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा मांगने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने इसे संविधान पीठ के पास भेजने की मांग की, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया और कहा कि वे इस मामले में अपना जवाब देना चाहते हैं। पहले, 14 अगस्त को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से आठ हफ्तों के भीतर लिखित जवाब मांगा था।
सीजेआई बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया है। सीजेआई गवई ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए।
पहलगाम हमले का संदर्भ
सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर की वास्तविकता और पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सॉलिसिटर जनरल का बयान
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले पांच वर्षों में काफी प्रगति हुई है और वहां के लोग खुश हैं। उन्होंने कहा कि 99.99 प्रतिशत लोग भारत सरकार को अपनी सरकार मानते हैं, इसलिए उनकी बातों पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। मेहता ने यह भी कहा कि इस मामले में निर्णय जम्मू-कश्मीर सरकार से बातचीत के बाद लिया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को अगस्त 2019 में संसद ने निष्प्रभावी कर दिया था, और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। 2023 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इस कदम को सही ठहराया था.