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सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अधिकारियों की गिरफ्तारी पर दी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आबकारी विभाग के अधिकारियों की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाते हुए उन्हें शर्तों के साथ राहत दी है। कोर्ट ने अधिकारियों को जांच में सहयोग करने और ट्रायल कोर्ट में नियमित रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया है। ईडी को भी निर्देश दिया गया है कि वे जांच में अनावश्यक देरी न करें। इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
 

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

सुप्रीम कोर्ट.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े आबकारी विभाग के कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी अधिकारियों को जांच में पूरा सहयोग करना होगा।

यह मामला 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग में हुए कथित घोटाले से संबंधित है, जिसमें अधिकारियों, राजनेताओं और निजी ऑपरेटरों पर शराब व्यापार में हेराफेरी और अवैध लाभ कमाने के आरोप लगाए गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में आने वाले इन अधिकारियों को पहले ही अंतरिम राहत दी गई थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी रूप से बनाए रखा है।

आरोपियों को शर्तों के साथ दी गई राहत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी आवश्यकता पड़ने पर जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होंगे। यदि कोई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने की आवश्यकता हो, तो वे जांच में सक्रिय सहयोग करेंगे। हर सुनवाई की तारीख पर ट्रायल कोर्ट के सामने हाजिर रहना अनिवार्य होगा, अन्यथा जमानत रद्द मानी जाएगी। आरोपियों को दो सप्ताह के भीतर अपने पासपोर्ट निचली अदालत में जमा करने होंगे।

इसके अलावा, उन्हें जांच अधिकारी को अपना मोबाइल नंबर उपलब्ध कराना होगा, ताकि संपर्क में रह सकें। आरोपियों को निचली अदालत की पूर्व अनुमति के बिना छत्तीसगढ़ नहीं छोड़ने की भी हिदायत दी गई है। सुनवाई के दौरान एस नागमुथु, सिद्धार्थ अग्रवाल और महेश जेठमलानी ने आरोपी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व किया, जबकि एएसजी एसडी संजय ने ईडी की ओर से पक्ष रखा।

ईडी को दी गई निर्देश

ईडी का दावा है कि इस सिंडिकेट ने अवैध शराब वितरण और कमीशन के माध्यम से हजारों करोड़ की कमाई की। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया है कि वे आगे की जांच के नाम पर अनावश्यक देरी न करें। मामले की अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की गई है.